SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८. स्त्री और संयम स्त्री के जीवन में संयम की अत्यन्त आवश्यकता है । उसे संयम रूपी किनारों को जीवन के आसपास रखना ही चाहिए । एक बार सरिता ने किनारों से कहा : “तुम टूट जाओ, क्योंकि हमारे स्वच्छंद विहार में बाधा होती है।" तब किनारोंने कहा, “अगर हम टूट जायेंगे, तो तुम को रेगिस्तान बन जाना पड़ेगा । तुम महासागर को भी प्राप्त नहीं कर सकोगी। इसी तरह हमारे जीवन रूपी सरिता के आसपास भी यदि संयम रूपी किनारे नहीं होंगे तो हमारा जीवन भी इधर-उधर भटक कर बरबाद हो जायेगा । दीपावली के दिनों में कृष्णपक्ष की तेरस को लक्ष्मीपूजन होता है । चौदस के दिन माँ-काली की उपासना की जाती है और अमावस्या के दिन शारदा अर्थात् सरस्वती की पूजा होती है । क्यों ? इसलिए कि स्त्री में धन देने की, बल देने की एवं विद्या देने की क्षमता है। गिरते हुए पति को बचावे और कुमार्ग से सन्मार्ग की ओर ले जाय, वही सच्ची पत्नी है । मदनरेखा का जेठ उसके पति का खून कर देता है । उस समय मदनरेखा मरणासन्न । For Private And Personal Use Only
SR No.008736
Book TitleSamvada Ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1990
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy