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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandiri . मोक्ष मार्ग में बीस कदम । दोनों पंडितों को सेठजी पर बड़ा क्रोध आया। बोले :- “क्या यही खिलाने के लिए आपने हमें आमन्त्रित किया था ?' सेठजी :- "मैंने तो भोजन खिलाने के ही लिए आपको आमन्त्रित किया था; परन्तु आपने एक-दूसरे का जो परिचय दिया था, उसीके अनुसार मैंने भोज्य पर्दाथ परोसवाया है।" दोनों पंडित :- “कौनसा परिचय?" सेठजी :- “इतनी जल्दी भूल गये ? जब ये नहाने गये तब आपने कहा था कि वह गधा है और जब मैं कुएँ पर गया, तब इन्होंने कहा कि वह तो बैल है; इसलिए गधेकी खुराक घास और बैलकी खुराक भूसी आपको परोसी गई।' दोनों पंडित इससे लज्जित हुए और वहाँ से उठकर चलते बने। कहा गया है : पण्डितो पण्डितं दृष्ट्वा श्वानवद् गुर्गुरायते ॥ (एक पंडित दूसरे पण्डित को देखकर कुत्ते की तरह गुर्राता है।) इसका कारण क्या है ? केवल ईर्ष्या । उसी दुर्गुण के कारण उस दिन उन्हें लज्जित अपमानित और क्षुधित रहना पड़ा। ईर्ष्यालुओं की ऐसी दुर्दशा का वर्णन सुनकर भी क्या हम ईर्ष्यावृत्ति को निर्मूल करने का कोई संकल्प नहीं लेंगे ? ____ एक और उदाहरण सुनिये- हेमू श्रावक का। किसी बादशाहके यहाँ उन्हें वित्तमन्त्रीका पद मिल गया। बादशाह हिसाब की जाँच करते थे और यदि कोई भूल उसमें निकल आती तो दण्डस्वरूप हिसाब का वह पूरा पन्ना खाने का आदेश देते थे; इसलिए लोग वित्तमन्त्रीका पद लेने को तैयार नहीं होते थे। हेमू ने यह बात सुन रक्खी थी, अतः वे पूरी सावधानी से आयव्यय का विवरण तैयार करके बादशाहको बताया करते थे। एक दिन किसी कामसे उन्हें बाहर जाना था। उस दिन अपने बूढे सचिव को हिसाब बताने का कार्य सौंप गये। हिसाब में गलती की सम्भावना से भयभीत सचिव को वे एक उपाय भी सुझा गये। दूसरे दिन सचिव बताने गया । गलती पकड़ी गई। हिसाब का पन्ना खाने का आदेश मिला । सचिव बड़े आराम से उसे खा गया। खाते समय उसके चेहरे पर कोई शिकन न देखकर चकित बादशाह ने उसका जब कारण पूछा तो उसने बताया कि हेमूजी की सलाह से मैंने पन्ने के आकार की रोटी बनवाकर उस पर हिसाब लिखा था; इसलिए उसे बहुत आराम से मैं खा गया। रोटी खाने में भला क्या परेशानी होती? बादशाहने भरी सभा में जब हेमूजी की प्रशंसा की तो उससे मुल्ला लोग जल-भुन गये। बोले - “ऐसे समाधान तो हम भी कर सकते हैं। आप हमारी परीक्षा लेकर देखियें।" For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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