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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम, सब का आशय यही है कि यदि हमें ज्ञान प्राप्त हो गया है तो धर्म का पालन अविलम्ब प्रारम्भ कर देना चाहिये। मोक्ष प्राप्ति के बाद क्रिया रुप धर्म भी छूट जायगा। काँटा चुभ गया हो तो उसे हम सुई से निकाल देते हैं और फिर सुई भी एक ओर रख देते हैं। प्रवचनों की-शास्त्रों के स्वाध्याय की-सूक्तियों की आवश्यकता तभी तक है, जब तक मोह मन में मौजूद है। मोह समाप्त होने पर इनको भी छोडना पडेगा : यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति। तदा गन्तासि निर्वेदम् श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च। -गीता जब मोहरूपी कीचड को तेरी बुद्धि पार कर लेगी, तब श्रोतव्य और श्रुत (शास्त्र) से तुझे विरकित प्राप्त हो जायगी। महात्मा बुद्ध ने भी अपने शिष्यों से कहा था :- “नौका के समान, पार करने के लिए मैं धर्म का उपदेश कर रहा हूँ, पकड कर रखने के लिए नहीं' नदी से पार होने के बाद नाव को भी हम छोड देते हैं। उसे सिर पर लाद कर इधर-उधर नहीं घूमा करते। उसी प्रकार लक्ष्य (मोक्ष) प्राप्त होते ही क्रिया रुप धर्म का भी त्याग आपोआप हो जाएगा। __जब तक विषयों की कामना है, तब तक संसार है और कामना से रहितावस्था ही मोक्ष की जन्मयात्री हैं : कामानां हृदये वासः संसार इति कीर्तितः। तेषां सर्वात्मना नाशो मोक्ष उक्तो मनीषिभिः॥ हृदय में इच्छाओं के निवास को ही 'संसार' और उनके सम्पूर्ण नाश को ही विचारकों ने 'मोक्ष' कहा है। विषयविरकित के समान कषायमुक्ति भी मोक्ष मोक्ष की सीड़ी हैं : नश्वेताम्बरत्वे न दिगम्बरत्वे न तर्कवादे न च तत्त्ववादे। न पक्ष सेवा श्रेयणेन मुक्तिः कषायमुक्तिः किल मुक्तिरेव ।। दिगम्बरत्व, श्वेताम्बरत्व, तर्कवाद, तत्त्ववाद और पक्षसेवाश्रय (पक्ष विशेष के समर्थन) में मुक्ति नहीं है। कषायों से (मनकी) मुक्ति ही वास्तव में मुक्ति (मोक्ष) है __ज्ञान, दर्शन, चारित्र के बाद तप का नम्बर आता है : तपस्तनोति तेजांसि॥ तप से तेजस्विता का विस्तार होता है बडे मुल्ला को मार-पीट के अपराध में पकड कर कचहरी ले जाया गया। फरियादी ने वहाँ जज से कहा :- “हजूर! मुझे मुल्ला ने जोर से पीट दिया । इन्साफ कीजिये।" १५६ For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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