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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम, बडे मुल्ला फूलों के व्यापारी थे। गाँव से टोकरी में भर कर फूल लाते और शहर में ले जा कर बेच देते। एक दिन नगर के प्रवेशद्वार पर पहुँचते ही उन्हें दस्त की हाजत हुई। एक ओर बैठ कर ज्यों ही उठे, त्यों ही सामने से कोतवाल को आते देख कर वे घबरा गये; क्योंकि कोतवाल यदि जान लेगा तो मार-मार कर मुल्लाजी का कचूमर निकाल देगा- ऐसा वे समझ रहे थे। आत्मरक्षा के लिए उन्होंने तत्काल कुछ फूल निकाल कर मल पर इस तरह डाल दिये कि वह पूरी तरह ढक गया। ___ कोतवाल ने समझा कि कोई पवित्र स्थान होगा; इसलिए.स्वयं भी कुछ फूल खरीद कर उस पर डाले और आगे बढ गये । बिजली की तरह सारे शहर में खबर पहुँच गयी। हिंदू देवस्थान मान कर और मुसलमान किसी पीर की दरगाह मान कर उस पर फूल, मिठाई, धन आदि चढाने लगे। शाम तक वहाँ भेंटों का पहाड खडा हो गया। फिर हिन्दू मुसलमानों के नेताओं में झगडा होने लगा। दोनों ग्रूप उसे अपने अधिकार में लेना चाहते थे। वहाँ के बादशाह ने आ कर कहा :- "दो-चार आदमी मिल कर इसे खोदना शुरु करो।नीचे कोई हिंदुओं का चिन्ह निकले तो यह स्थान हिंदुओं को सौंप दिया जाय; अन्यथा मुसलमानों को!" वैसा ही हुआ। खुदाई के बाद मल निकले पर हिन्दू-मुस्लिम नेता वहाँ से अपनी-अपनी नाक दबा कर भाग खड़े हुए। अन्धविश्वास का ऐसा ही दुष्परिणाम होता है; अतः उपासना या आराधना की सफलता के लिए सब को विवेक से काम लेना चाहिये। १५२ For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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