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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम . णहि णिरवेक्खो चागो, ण हवदि भिक्खस्य आसयविसुद्धी अविसुद्धस्य हि चित्ते, कहं णु कम्मक्खओ होदि। -प्रवचनसारोद्वार [जब तक त्याग निरपेक्ष नहीं होता, तब तक साधु की चित्तशुद्धि नहीं होती। जब तक चितशुद्धि (विषयकषाय से मुक्त) नहीं होती, तब तक कर्मक्षय भला कैसे हो सकता है ?] तात्पर्य यह है कि त्याग का सीधा सम्बन्ध कर्मक्षयोपशभ से है; इसलिए : त्याग एव हि सर्वेषाम् मुक्ति साधनमुत्तमम्॥ (त्याग ही सब के लिए मुक्ति का उत्तम साधन है।) त्याज्य (जिसका त्याग किया जाता है, उस) के अनुसार त्याग दो प्रकार का हो जाता है बाह्मत्याग और आभ्यन्तर त्याग। धन, परिवार, घर, खेत आदि का त्याग ब्राह्म है और विषय-कषाय का त्याग अभ्यन्तर है। यद्यापि दोनों त्याग महत्त्वपूर्ण हैं ; फिर भी बाह्यत्याग पहले किया जाता है और आभ्यन्तरत्याग बाद में । बाह्यत्याग का भी लक्ष्य अभ्यन्तर त्याग होता है। यदि अन्तमें अभ्यन्तर त्याग नहीं हो पाता तो बाह्मत्याग का कोई मूल्य नहीं सिद्ध होगा :बाहिरचाओ विहलो अन्भिन्तरगन्थिजुत्तस्स। -भावपाहुड १३ [जिसके भीतर (मन में) ग्रन्थियाँ (राग-द्वेष या विषय-कषाय की गाँठे) मजबूत हैं, उसका बाह्मत्याग विफल (असफल) हो जाता है] शिष्य के द्वारा किसी गुरु ने यह प्रश्न सुना :- "त्याग करता हूँ, फिर भी मन को शान्ति क्यों नहीं मिलती?" ___ इस पर गुरु ने उत्तर दिया :- “विचार कर। कही मन में फल की लालसा तो नहीं छिपी है ?" फल के लोभ से, नरक के भय से अथवा गुस्से के कारण जो व्यक्ति त्याग करते हैं वे सच्चे त्यागी नहीं है। इसी प्रकार जिन वस्तुओं का अभाव है अथवा जिनकी प्राप्ति असम्भव है, उनका त्याग करने वाला त्यागी नहीं हैं। यदि कोई गरीब व्यक्ति सोने की थाली में पाँचों पकवान एक साथ खाने का त्याग कर दे तो उसे त्यागी नहीं कह सकते; क्योंकि ऐसा त्याग कौन नहीं कर सकता? ___ अप्राप्तेऽर्थे भवति सर्वाऽपि त्यागी॥ -नीतिवाक्यामृतम् (जो वस्तु अप्राप्त है, उसका त्याग तो सभी कर सकते हैं।) १०० For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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