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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परन्तु यह समझ गलत है। विष्ण के उपासक वैष्णव, शिव के उपासक शैव, ब्रह्मा के उपासक ब्राह्मण, बुद्ध के उपासक बौद्ध कहलाते हैं, उसी प्रकार जिनदेव के उपासक जैन कहलाते हैं। आप कार में बैठ कर जा रहे हैं। सामने चौराहे पर खड़ा पुलिस वाला हाथ का इशारा करता है और आप चलती कार रोक देते हैं; परन्तु परमात्मा के प्रवचन की उपेक्षा करते हैं ! पुलिस वाले के इशारे से अनुशासित रहने वाले आप अपने आराध्य देव प्रभु महावीर के सन्देशों, उपदेशों और आदेशों की भी उपेक्षा कैसे कर जाते हैं ? आश्चर्य है ! और उपेक्षा करके भी आप अपने को "जैन' किस मुह से कहते हैं ? यह सोचने की बात है। बैंगलोर के चातुर्मास में दो हजार युवकों ने मुझे अविस्मरणीय गुरुदक्षिणा दी। जीवनभर के लिए उन्होंने सिनेमा, होटल और धूम्रपान का त्याग कर दिया ! उनका जीवन अनुशासित हो गया। वे घन्य हो गये। ऐसी गुरुदक्षिणा पाकर मैं भी धन्य हो गया। चातुर्मास का श्रम सार्थक हो गया। भूल तो सब से होती है; परन्तु समझदार व्यक्ति वही है, जो एक भूल को दुबारा न होने दे। जो ऐसी समझदारी का परिचय देता है, उसका जीवन अनुशासित है। विवेकानन्द जब किसी कॉलेज में पढ़ा करते थे, तब एक युवती के सौन्दर्य पर मुग्ध हो गये। घर पाकर अपनी इस भूल के लिए रोने लगे। जो आँखें उस युवति की ओर आकर्षित करने में सहायक बनीं, उन्हें दण्ड देने के लिए मिर्ची पीस कर उन पर लगादी और ऊपर से पट्टी बांध दी। For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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