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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक राजा ने पूरे गाँव को भोज दिया। अनेक स्वादिष्ट पकवान बनवाये गये। एक आदिवासी ने राजा से गुड की लापसी माँगी क्यों कि पकवान उसने पहले कभी खाये नहीं थे। वह गुड़की लापसी को ही सबसे बड़ी मिठाई मानता था। राजा ने एक रसगुल्ला उठा कर उस आदिवासी के मुह में रख दिया। स्वाद आते ही वह सारी थाली साफ कर गया। आत्मानन्द का स्वाद जो चख लेता है, उसे विषयभोगों का स्वाद फीका लगने लगता है। एक बात सदा याद रखने योग्य है कि शब्दों से कभी आत्मदर्शन नहीं हो सकता : "No words suffice the secret soul to show." [छिपी हुई आत्मा को दिखाने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं] स्वामी विवेकानन्द के प्रवचन में आत्मा शब्द का उल्लेख देख कर किसी अमेरिकन श्रोताने उनसे : "क्या आप मुझे प्रात्मा के दर्शन करा सकते हैं ?" ऐसा पूछा। स्वामीजी ने एक मुक्का उसकी पीठ पर जमा दिया। अमेरिकन जिज्ञासु ने चिल्लाकर कहा : "बड़ा दर्द हो रहा है।" ____स्वामीजी : “कहाँ है दर्द ? क्या आप मुझे अपना दर्द दिखा सकते हैं ?" वह निरुत्तर खड़ा रहा । फिर स्वामीजी ने समझाया : "जिस प्रकार वेदना का अनुभव होता है, किन्तु वह दिखाई नहीं देती, उसी प्रकार प्रात्मा का अनुभव भी होता है, परन्तु वह दिखाई नहीं देती, इसलिए किसी को दिखाई भी नहीं जा सकती।" For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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