SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 208
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतन्त्रता संग्राम के समय एक वीर युवक का शरीर गर्दन कटकर नीचे गिर जाने पर भी तलवार चलाता रहा ! उसकी ऐसी वीरता से अंग्रेज बहुत चकित हुए । उन्होंने उसके पिताकी तलाश की । फिर पितासे विनय के साथ निवेदन किया कि आप यूरोप में चलिये और वहाँ भी ऐसे वीर पैदा कीजिये । पिताने कहा : " यूरोप में चलने को मैं तैयार हूँ; परन्तु वहाँ चलना व्यर्थ रहेगा ?" अंग्रेज : "क्यों व्यर्थ रहेगा ?" पिता : " वहाँ वैसी माँ नहीं मिल सकेगी, जैसी मेरे वीर बेटेकी थी ! " अंग्रेज : "वहाँ बहुत सुन्दर गोरी-गोरी हजारों युवतियाँ हैं । अपनी मनपसन्द सौ-दो सौ युवतियोंको उनमें से चुन लीजियेगा ।" पिता "सुन्दर तो वेश्याएँ भी होती हैं; परन्तु वीर पुरुष उत्पन्न करने के लिए सुशीला पत्नी चाहिये ।" अंग्रेज : " सुशीला ! यह वाइफ का कौन सा प्रकार है ?" पिता : " आप सुनना चाहते हैं तो सुनिये । एक दिन की बात है । रात का समय था । घर में हम दोनों पतिपत्नी के अतिरिक्त और परिवारका कोई सदस्य नहीं था । मैंने प्यार से उसका मुँह चूम लिया । इससे वह नाराज हो कर अचानक बोली कि आपने पर पुरुष के सामने मेरा चुम्बन कैसे ले लिया ! अपने शिशु को ही वह पर पुरुष मान रही थी, जो उस समय पालने में झूल रहा था । इस ७ For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy