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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६३ महात्माने तीसरी बार उसे उठाकर वेगसे नदी तट पर उछाल दिया । शिष्यों में से एकने पूछा : "गुरुदेव ! आपने बार-बार काटने वाले बिच्छू को भी बचाने का प्रयास क्यों किया ?" बोले : बिच्छू जैसा प्राणी भी जब डंक मारने का स्वभाव नहीं छोड़ता, तब मनुष्य होकर मैं उसे बचानेका स्वभाव कैसे छोड़ देता ? " दुःखी प्राणियों के दुःख को मिटाना मनुष्य के स्वभाव में शामिल हो जाना चाहिये । यह कार्य उपकार मानकर नहीं, किन्तु अपना स्वभाव मानकर ही करना चाहिये । अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन प्रतिनिधि सभा में भाषण देनेके लिए जा रहे थे । मार्ग में उनकी नज़र एक ऐसे सूअर पर पड़ी, जो कीचड़ में फँस गया था और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था । लिंकन ने बग्धीं रुकवाई और सूअर को खींच कर बाहर निकाल दिया । इस प्रयास में कीचड़ के छींटे उनकी पोशाक ( ड्रेस ) पर लग गये; परन्तु अब इतना समय नहीं था कि अपने निवास पर लौट कर पोशाक बदली जा सके । सभा में समय पर पहुँचना जरूरी था इसलिए वे कीचड़ से गन्दी पोशाक धारण किये हुए ही सभाभवम में जा पहुँचे और भाषण दे दिया । पोशाक पर कीचड़ लगने का कारण पूछने पर एक प्रतिनिधि से राष्ट्रपति के अंगरक्षक ने रास्ते में घटी पूरी घटना का विवरण सुना दिया । १३ For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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