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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यदि किसी सामान्य सर्वमान्य सूत्र के आधार पर सर्वधर्मसम्मेलन करना हो तो वह सूत्र होगा-अहिंसा। दान पुण्य का जनक ज़रूर है, परन्तु हिंसा के पाप से वह भी बचा नहीं सकता : मेरु गिरिकणयदाणं धन्नाणं देइ कोडिरासोओ। इक्कं वहेइ जीवं न छुट्टए तेण पावणम् ॥ [मेरु पर्वत के बराबर कोई सोने का दान करे और अनाज के करोड़ों ढेर भी दे डाले तथा दूसरी ओर एक जीव की हत्या कर दे तो उसके पाप से वह बच नहीं सकता ! फल भोगे बिना उस पाप से उसका छुटकारा नहीं हो सकता] दया निकल जाय तो कोई धर्म खड़ा नहीं रह सकता। दयाधर्मनदी तीरे सर्वे धर्मास्तृणाङ्कराः । तस्यां शोषमुपेतायाम् कियत्तिष्ठन्ति ते चिरम् ॥ [दयाधर्मरूपी नदी के तट पर सारे धर्म तिनकों के अंकुर के समान उगते हैं। यदि वह सूख जाय तो वे (धर्म) कब तक खड़े रह सकते हैं] कुरान में लिखा है : ईमान की दो शाखाएँ हैं--सज्जनता और दयालुता। "रहम करने वाले पर रहमान (ईश्वर) रहम (दया) करता है। तुम ज़मीन वालों (मानवों और अन्य प्राणियों) पर रहम करोगे तो तुम पर आसमान वाला रहम करेगा।" ऐसा हजरत मुहम्मद कहा करते थे। बाइबिल में लिखा है : Thou shalt not kill. [तू किसी की हत्या मत कर] For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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