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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६२ मन्त्री : “इसलिए कि दान करते रहने से आपकी हथेलियाँ घिस गई हैं।" राजा : "अापकी हथेली में क्यों नहीं उगते ?" मन्त्री : "आप से दान लेते - लेते मेरी हथेलियाँ घिस गई हैं !" राजा : "तो फिर इन सभासदों की हथेलियों में बाल अवश्य उगने चाहियें; किन्तु वहाँ क्यों नहीं उगते ?" ___ मन्त्री : “आप दान देते हैं और मैं दान लेता हूँ; किन्तु इन्हें कुछ नहीं मिल पाता; इसलिए ये ईर्ष्यावश बैठे - बैठे हाथ मलते रहते हैं । इस कारण इन सब की हथेलियाँ भी घिस चुकी हैं।" __ राजा इस हाजिरजवाबी पर मुग्ध हो गये। एक बादशाह थे उन्हें एक वज़ीर की जरूरत थी। इंटरव्यू का आयोजन किया। तीन आदमी आये । एक प्रश्न किया : “ यदि मेरी और तुम्हारी दाढी में आग लग जाय तो तुम पहले किसे बुझाओगे ?" ___ एक ने कहा : “मैं पहले आपकी दाढी बुझाऊँगा; फिर मेरी' दूसरे ने उत्तर दिया : “मैं पहले अपनी दाढी बुझाऊँगा; फिर आपकी।" तीसरा बोला : “मैं एक हाथसे अपनी दाढी बुझाऊँगा और दूसरे हाथसे आपकी !” कहने की आवश्यकता नहीं कि इन तीनों में से बादशाह ने तीसरे को ही चुन कर वज़ीर बनाया, पहले For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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