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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११६ जीवन दृष्टि कर्जन के जमाने में लार्ड मैकाले को इस काम के लिए नियुक्त किया गया. मैकाले ने अपनी डायरी में लिखा है कि मैं इस नई शिक्षा प्रणाली के माध्यम से एक ऐसा शुगर कोटेड पॉयजन देकर जा रहा हूँ जो आने वाले वर्षों में पूरे भारत को अभारतीय बना देगा. उनको अपनी संस्कृति से विमुख कर देगा. वही हुआ जो अंग्रेज चाहते थे. अंग्रेज हमारे देश से चले गये पर हमें अंग्रेजियत की मानसिक दासता में जकड़ गये. हम आजादी के वाद एक भी अंग्रेज को धोती कुर्ता नहीं पहना सके. वो सारे देश को पैंटसूट पहिना कर चले गये. हमारा वेश पूर्वजों ने बहुत सोच समझ कर चयन किया था कि यहाँ का वातावरण गर्म है. धोती कुर्ता ढीला ढाला होता है ताजी हवा का आवागमन उसमें रहता है. इसके अलावा शरीर को सूर्य की रोशनी से विटामिन मिलता है. हमारे शरीर के जर्स का नाश होता है. पश्चिम में इसलिए लोग सनवाथ करते हैं. किन्तु हमने विना सोचे समझे पैंट-सूट धारण कर लिया और अनेक विमारियों को आमन्त्रण दे डाला. अंग्रेज टाई पहनते है तो इस धार्मिक भावना से कि क्राइस्ट के शूली पर लटक जाने की याद आती रहे. पर हम किस देवता के शूली पर चढ़ने की याद में टाई लगाते हैं! विज्ञान-विकृत विज्ञान : मुझे एक पत्रकार ने पूछा आज का विज्ञान इतना एडवान्स हो गया है. भौतिक दृष्टि से वहुत खोज की गहराई में उतर चुका है और नई वस्तुओं का काफी अविष्कार हो चुका हैं. उसके वारे में आपको कुछ कहना हैं. __ मैंने कहा - आज का विज्ञान इतना विकृत हो चुका है कि निश्चित रूप से एक दिन मानव जाति का विनाश करके रहेगा. जो विज्ञान विशिष्ट ज्ञान था, वह आज विकृत वन चुका है, एटम बम बनाकर इस विश्व को विज्ञान ने क्या दिया? एटमिक एनर्जी के रूप में जहाँ विश्व का कल्याण होना था, उसका दुरूपयोग किया जा रहा है. इसका निर्माण करने वाला वैज्ञानिक जिसने अपनी खोज राष्ट्र को अर्पण कर दी, उस व्यक्ति ने अपनी खोज का परिणाम जब देखा तो स्तब्ध रह गया. हिरोशिमा-नागासाकी पर एटमिक विस्फोट जव उसने टी. वी. पर देखा तो उसे इतना मानसिक क्लेश हुआ कि वह विक्षिप्त हो गया. मरते समय भी उसके मुंह पर यही शब्द थे- 'He shall go to Hell. वह व्यक्ति मर कर निश्चित रूप से नर्क में जायेगा, जिसने इस मानव जाति का घोर अहित किया है. इस तरह के अनेक अस्त्र आज तो वन चुके हैं. बुद्धि का दुरूपयोग आज इतना भयंकर हो गया कि उस विशिष्ट ज्ञान को हमने विकृत ज्ञान बना दिया. हमारी बुद्धि पर हमारा अनुशासन नहीं रहा, हमारे विचारों में विवेक नहीं रहा. विचारों पर विकृत विज्ञान ने कब्जा कर रखा है जिसके कारण आज मानव जाति का अस्तित्व ही खतरे में हैं. किस प्रकार इस विकृत विज्ञान द्वारा उत्पन्न अशान्ति का निवारण हो, इसी पर हमें विचार करना है. इस अशान्ति का मूल कारण क्या है? उसे हमें देखना है. For Private And Personal Use Only
SR No.008716
Book TitleJivan Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1995
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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