SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुनिदान अर्थात् धन्ना एवं शालिभद्र का वृत्तान्त १०५ वहाँ जाने का विचार किया इतने में नीचे धन्नाजी दृष्टिगोचर हुए और वोले, 'कायर शालिभद्र! संयम की धुन वाले को क्या कभी एक एक स्त्री का त्याग शोभा देता होगा? त्याग-भावना जाग्रत होते ही सर्वथा त्याग ।' शालिभद्र नीचे उतरा | धन्ना और शालिभद्र को भद्रा माता ने बहुत समझाया, फिर भी वे न समझे और भगवान के पास जाकर उन्होंने संयम ग्रहण किया। उग्र तप,त्याग करके उन्होंने अनशन स्वीकार किया और जहाँ किसी का कोई राजा नहीं है वैसे सर्वार्थसिन्द्र विमान में उन्होंने वास किया। तत्पश्चात सुभद्रा आदि पत्नियों ने भी दीक्षा अङगीकार की। आज भी दिवाली पर बही-पूजा के समय 'धन्ना शालिभद्र की ऋद्धि हो' और वही में लिख कर उनके पुण्य नाम का जनता स्मरण करती है। (धन्य कुमार चरित्र से)
SR No.008714
Book TitleJain Katha Sagar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailassagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy