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प्रकाशकीय....
पिछले कई वर्षों में मनमें यह विचार बार-बार उपस्थित हो रहा था चारित्र चूडामणि पुज्य गच्याधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा मंगृहीत श्री कथासागर' ग्रंथ का गुर्जर 'भाषा में प्रकाशन हुआ है जिसका लाभ गुर्जर प्रजा अच्छी नरह प ले ही है. क्या नहीं इस ग्रंथ का हिन्दी में अनुवाद प्रकाशित किया जाय:
शुभ प्रकल्प पूर्वक वाया हुआ यह विचार वीज आज ग्रंथप्रकाशन के रूप में फलान्चित हात हुए दग्य हृदय आनंद ग मनाप प्राप्त कर रहा है.
ग्रंथ का प्रकाशन करना कोई परल काम नहीं है बल्कि उसके लिए चाहिए अनका का यहयोग, मयाग ही सफलता का पोपान है' उक्ति अनुसार इस ग्रंथ के प्रकाशन में हम पूज्यपाद शासन प्रभावक आचार्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. का आशावाद रूप महयोग मिला है. प्राणा एवं मार्गदर्शन सहयोग मिला है. पू. गणिवर्य श्री अरुणादयसागरजी म. मा. का अनुवाद के कार्य में श्री नैनमलजी सुराणा का एवं प्रस्तुत अनुवाद की गवक एवं परल बनाने में महयाग मिला है पृज्या साध्वीवर्या शुभ्रांजनाश्रीजी महाराज का विच डॉ. श्री जितेन्द्रकुमार बी. शाह के सहयोग को भी कैग मला पकन है जिन्हान अत्यंत व्यस्त हाने हुए भी इस ग्रंथ कं विण्यानुम्प बहुत या पदर गननाय प्रग्नाबना लिाव कर मजी है..
अंत नामा अनामी सभी शुभक सहवागावा का आभार मानत हुए निकर नविय म मा हम सभा का पयांग निम्ता मिलता रहेगा मा आशा के साथ...
श्री अरुणादय फाउन्डेशन
कावा. परिवार.