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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - गुरुवाणी कट कर देना है. आँख का सप्लाई कट, कान का सप्लाई कट, जीभ का सप्लाई कट, विषयों का सप्लाई कट कर दीजिए, ऐसी बम बारी करिये कि सब पुल टूट जाएं. आत्मा स्वतन्त्र बन जाए, दुश्मन हार जाए, मर जाए. कर्म को मारने का यह उपाय है. यदि तीन दिन के अभ्यास में भी सफल नही हुए, यदि एक साम्राज्य मोर्चे पर भी हम फेल हो जाएं, और वापिस लौट कर के आ जाएं तो बड़ा शर्मिंदा बनना पड़ता है. युद्ध के मोर्चे पर अगर सैनिक आए, सामने एक तोप छटे और बन्दक छोडकर करके आ जाए, उसके साथ मार्शल ला कैसा किया जाता है. ऐक्सन कैसा लिया जाता है. हमारी भी हालत एक दिन उपवास करवाया और मोर्चे पर लाकर खड़ा कर दिया. यह शेर बहादुर आज नहीं तो कल अपने कर्म को मारेगा, आत्मा पर विजयी बनेगा. स्वयं की आत्मा को स्वतन्त्र कराएगा. आपको कल मोर्चे पर खड़ा किया दूसरे दिन ही यदि बन्दूक रख करके आगये कि महाजन बस, आज तो नवकारी पारणा, भगे यहाँ से हमारी क्या हालत होगी? शोभा देता है. राजपूतों की एक कविता है: तारा की जोत में चन्द्र छिपे नहीं, सूर्य छिपे नहीं बादल छायो। रण चढ़े राजपूत छिपे नहीं, दाता छिपे नहीं, घर मांगन आयो। चंचल नारि के नैन छिपे नहीं, प्रीत छिपे नहीं पीठ दिखायो। देश फिरो, परदेश फिरो, कर्म छिपे नहीं भभूत लगायो। मोर्चे पर जाने के बाद रण का जो मैदान होता है राजपूत छिपा नहीं रहता, उसका खून खौल जाता है. तलवार लेकर के युद्ध में नाचता है. मौत के साथ खेलता है. दानेश्वरी आत्मा घर पर अगर कोई याचक आ जाए, कभी छिपा नही होगा, उसकी उदारता सहज में ही प्रकट हो जाएगी. कहना नही पड़ेगा मैं दानेश्वरी आत्मा हूँ. __चाहे कितना ही बादल आ जाए सूर्य छिपता नही, प्रकाश आ ही जाता है, प्रेम कभी छिपा नही रहता, वह स्वंय प्रकट हो जाता है. आचरण से प्रकट हो जाता है. चाहे आप दुनिया में कहीं भटक जाओ, सर्जरी करवा के आ जाओ, नाम बदल के आ जाओ, घर का साइन बोर्ड बदल दो, कर्म छिपता नही बरोबर आएगा. चाहे कितनी भी भभूत लगा लो, बाबा बन जाओ, त्रिशूल ले लो, बम-बम भोले नाथ करो, कर्म पहुँच हि HिA 367 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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