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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी: जाए ? ऐसी भयानक परिस्थिति में यदि जहाज का प्रवेश हो गया. जापान के बन्दरगाह पर अगर जहाज घुस गया, पूरे जापान को इससे नुकसान पहुंचेगा. हमारा मनोबल टूट जाएगा. बड़े बड़े नगर को ध्वस्त कर देगा. हमारी जल सेना को खत्म कर देगा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतनी बड़ी ताकत जल सेना की जापान का एक जमाना था. पूरा साम्राज्य था. समुद्र पर पूरा अधिकार उस राष्ट्र का था. मीटिंग के अन्दर यह निर्णय लिया गया कि उसको तोड़ा किस प्रकार जाए कोई ऐसी ताकत नहीं कि इस जहाज को तोड़ा जाए. इसलिए तो चर्चिल को गर्व था. यह अभेद्य दुर्ग है. कमाण्डरों ने एक विचार किया कि एक उपाय है, अगर प्राण देने वाले व्यक्ति मिल जाएं और ज्यादा नही चार-पांच एरोप्लेन, उनके अन्दर बम लेकर के जाएं. स्टीमर को अगर लगा देता, टक्कर विस्फोट होगा और भयंकर विस्फोट होगा. इसमें यह स्टीमर निश्चित टूट जाएगा. ऐसे मुझे पच्चीस जवान चाहिए. इस देश में से जो देश कि रक्षा के लिए अपना प्राण दे सकें. शाम का समय था, वहां के सम्राट को जब जाकर सैनिक कमाण्डर ने कहा, सम्राट ने इस बात को स्वीकार किया, रात्रि के समय घोषणा जापानी रेडियों से कि हमारे राष्ट्र के लिए मात्र पच्चीस जवान चाहिए जो अपनी जान दे सकें. प्रातः काल उनको भर्ती आफिस मे नौ बजे पहुचना है. जापान के सम्राट का यह आदेश था. सारे जापान के अन्दर यह घोषणा की गई. प्रातः काल जैसे ही भर्ती आफिस में कमाण्डर गया, वह घबरा गया कि अब मै क्या करूं?, पच्चीस हजार जवान लाइन में खड़े थे. देखकर आंख फट गई थी उसकी, विचार में डूब गया कि धन्य हैं. आंसू आ गए, कमाण्डर के कि कैसा हमारा देश ! कैसे हमारे नागरिक ! राष्ट्र के लिए प्राण देने का सौदा चल रहा है. मात्र पच्चीस जवान प्राण देने वाले चाहिए, पच्चीस हजार लड़के खड़े हैं. क्या किया जाए? बुलाया, समझाया. कोई मानने को तैयार ही नहीं, सब के नाम ले लेकर चिट्ठी निकाली गई जिनका नाम आएगा उनको ही लिया जाएगा. ऐसे जवान उनमें से पसन्द किए गए, बहुत जल्दी में उनको तैयार किया गया कि ऐरोप्लेन के साथ बैठकर और भयंकर बम लेकर के एक साथ एक साथ जा करके जब जहाजों ने अटैक किया और अभेद्य ब्रिटिश जलपोत डुबा दिया गया. " ब्रिटेन का सारा गौरव खत्म हो गया, चर्चिल उदास हो गया. विचार में डूब गया, अजब ताकत है इनकी मै यह कई बार सोचा करता हूं एक सामान्य भौतिक राष्ट्र के लिए युद्ध क्षेत्र के अन्दर इतनी प्रसन्नता से जब लोगों ने अपना प्राण दे दिया, आज उस राष्ट्र की चेतना तो देखें. युद्ध में साफ हो गया. ऐसा बरबाद कर दिया हिरोशिमा और नागासाकी पर बम डाला गया कि वह सदियों तक खड़ा न हो सके, उस राष्ट्र की चेतना उसकी 323 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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