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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी जय सिंह के समय की घटना है. सिद्धराज का राज्य था, जैसे ही वहां आचार्य हेमचन्द्रसूरि का आगमन हुआ. कंधे पर कंबली पड़ी थी. हाथ में डंडा था जो साधू का वेश है, वो आ रहे थे. एक पण्डित ने ज़रा मसकरी कर दी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "आगतो हेम गोपालो, दण्ड कंबलमुद्वहन्" हेम नाम का कोई ग्वाला आ रहा है. गाय चराने वाला, कंधे पर कंबली लटकी है. हाथ में डंडा लेकर के आ रहा है. हेमचन्द्र सूरि समझ गए. राजदरबार में आते ही सुनने को कैसा मिला. उसी समय जवाब मिला. हेमचन्द्र सूरि ने आकर बड़ी प्रसन्नता से कहा" षड्दर्शनश्च साधुषु पशुचारयन् जैन वाटके” तुम्हारे जैसे ढोर को चराने के लिए ही यहां आया हूं. कहीं जंगल में नहीं पशु तो यहीं मिलेंगे. जैसा प्रश्न वैसा ही उत्तर. इसे कहा जाता है - निपुणता व्यवहार में ऐसी निपुणता आप रखते हैं ? सेठ मफतलाल पकड़े गए तिहाड़ जेल में गए. घरवाली ने कहा- चौमासा आ गया श्रावण का महीना चल रहा है. खेती-बाड़ी कौन करेगा. तुम तो जेल में बैठ गए हम यहां क्या खाएंगे, चना फांके. खेती कौन करेगा, हल कौन चलाएगा, बीज कौन बोएगा. पैसा कहां से लाएं. बिना पैसे के ट्रैक्टर हल चलाने को कौन देगा. मफतलाल ने कहा बडबड़ मत कर, मैं सब उपाय कर दूंगा. जा घर. मुलाकात के लिए आई थी. जेल से उसने ओपन पोस्ट कार्ड लिखा कि आज तक मैंने बहुत माल चोरी का लिया, इधर-उधर का माल खरीदा. घर में छिपाएं तो डर था, न जाने कभी नुकसान हो जाए. चैकिंग हो जाए. इसलिए मैंने अपने खेत के अंदर अलग-अलग जगह पर बहुत माल गाड़ा हुआ है. ध्यान रखना, खेती की पूरी रखवाली रखना. वहां कोई हाथ साफ न कर जाए. जेल से कोई भी पत्र बिना सेन्सर हुये जाता नहीं. सेन्सर के हाथ में लैटर आया और तुरंत पुलिस को इन्फार्म किया. इसके खेत के अंदर देखा जाए. अब क्या ट्रैक्टर चलने शुरू हुए. क्या खुदाई हुई, कभी जिन्दगी में ऐसा हल नही चला. एक-एक इंच जगह खोदा गया. पूरा खेत वहां पर खोद दिया गया. धन हो तो मिले. ― घरवाली आई तो मफतलाल ने कहा - देखा बुद्धि दौड़ाई. हल खैड़ दिया ना. बीज बो देना. समझ गए. इसे कहा जाता है। अक्ल. व्यवहार में तो अक्ल बहुत चलाते हैं. अध्यात्मिक क्षेत्र में अक्ल चलाइये. कर्म मूर्ख बन कर के लौट जाए. कर्म को ही ठगने का प्रयास करिए. जगत् को ठगने से क्या मतलब. धुन तुलसीदास के पास जब पण्डित गए. काशी में वे तो गंगा के किनारे राम की भक्ति में लगे थे. राम का स्मरण कर रहे थे. लोगों ने आकर नमस्कार किया और पूछा क्या हाल-चाल है ? 239 For Private And Personal Use Only da
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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