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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra S www.kobatirth.org गुरुवाणी: मांगे तो ही जाऊं. पति ने जाकर अपनी सास से कह दिया. सास ने कहा बच्ची अगर सुखी रहती है, तो मैं सब करने को तैयार हूं. रविवार का दिन था पति चालाक था कोई मफतलाल जैसा ही था. पडोस में गया अपने मित्र के यहां मां को पहुंचा दिया. अपनी सासू को ले आया. एक मित्र के घर ठहराया बड़ी चालाकी से माथा मुंडाकर मुंह काला करके सामने लाकर बिठा दिया. पचास साठ वर्ष की उम्र में पहुंची हुई माता हो. माथा मुंडाकर मुंह काला कर दिया जाए तो पहचानना हर आदमी के लिए मुश्किल है. बरोबर सामने लाकर बिठा दिया. पूरा गांव तमाशा देखने आया. बहू के मन में आया कि सास का आज बरोबर बदला लेकर के रहूंगी कैसी नाक काटी आज, माथा मुंडवा दिया, मुंह काला कर दिया, जिन्दगी भर की अक्ल आ गई. मन के अन्दर वह ग्रन्थि बंधी हुई थी. क्लेश कैसा होता है? उसका यह बड़ा सुन्दर रूपक लाकर के रखा, जैसे ही समय हुआ. वे बेचारे सन्यासी आये, परोपकार के लिए पानी लेकर के कमण्डल से छांटा मारा और मन्त्र बोला. एकदम वह उत्तेजना में आई और धुनना शुरू किया. पति भी पास में, पूरा परिवार वहां उपस्थित, वह पहचान नहीं पाई कि ये मेरी सास है या मां है. चिल्लाई, बड़े जोर से बोली देख रण्डी का चाला, माथे मुण्डन मुंह काला पास में ही पति खड़ा था उसने कहा देख मर्द की फेरी अम्मा तेरी कि मेरी. सारा भूत निकल गया, ज्ञानियों ने कहा "अयमेव संसारः" इसी का नाम संसार है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह संसार बडा विचित्र है जैसे-जैसे आप संसार की गहराई में जायेंगे स्वयं वैराग्य आ जायेगा. मैं तो इसीलिए कई बार कहा करता हूं. मैं धन्यवाद का पात्र नहीं, ऐसे भयंकर संसार में आप रहते हैं. मैं आपको ही धन्यवाद देता हूं, ये बेचारे साधु सन्त तो संसार छोड़कर के निकल गए. ऐसे विचित्र संसार में नहीं रहना आप आज तक मोर्चे पर डटे रहे हों, जो होगा देखा जायेगा. कफ़न बांधकर के खडे हों, धन्यवाद तो आपको देना चाहिये. महात्मा ने कहा उस बहू से कि और कुछ नहीं करना, एक प्रयोग बतलाता हूं. घर पर जाकर करना सास तुम्हारे लिए सब कुछ करने लग जाएगी. बड़ा वशीकरण मन्त्र है. क्या छोटा-सा लकड़ी का टुकड़ा दे दिया. सवा इंच का जब सास घर में बोलना शुरू करे, बरसना शुरू करे, ये टुकड़ा देता हूं, मन्त्र करके मुंह में डाल देना. 235 For Private And Personal Use Only OR
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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