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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: आप नशा लेते हैं आपके विचार कितने डगमगाने लगते हैं. शराब पीकर के मदहोश बनकर के आएं. विचार तो वहीं के वहीं पर लड़खड़ाने लग जाएंगे. आप गलत बोलने लग जाएंगे. आपके विचार में गलत तत्त्व बाहर आने लग जाएंगे. आहार का इतना जल्दी असर पड़ता है आप शराब पीकर देखिए घण्टे भर में आपको नचा देगी. _वह परमाणु तुरन्त आपके विचार को प्रभावित करेगा. जब एक मादक पदार्थ, एक प्रकार का व्यसन और उसका सेवन भी आपके विचार को खंडित कर देता है, दूषित कर देता है. यदि प्रतिदिन इस प्रकार अशुद्ध आहार, तामसी आहार करेंगे, उसका परिणाम आपके विचार पर कैसा पड़ेगा? साधना के क्षेत्र में वह प्रभाव कितना भयंकर नुकसान पहुंचाएगा? वह कभी मन में शुद्ध वातावरण निर्मित नहीं होने देगा. खंडित करेगा. इसीलिए गीता में तीन प्रकार का आहार बतलाया गया. शुद्ध सात्विक आहार-जो साधना को सहयोग देने वाला साधना को सफलता प्रदान करने वाला. श्री कृष्ण की दृष्टि में जो गीता में कहा बिल्कुल सत्य है, यथार्थ है, सात्विक आहार चाहिए, सत्वगुणों वाला. एक राजसिक होता है. विषय और कषाय को उत्तेजित करने वाला होता है. विषय की पुष्टि के लिए बहुत सुन्दर स्वादिष्ट भोजन, पकवान. प्रतिदिन उसका सेवन आपके जीवन को बरबाद कर देगा. मसी आहार उससे भी भयंकर. मद्य, मांस का सेवन, अखाद्य का सेवन. ये हमारे यहां निषेध इसलिये किया कि लहसुन है, प्याज है, ये बड़े खराब पदार्थ हैं. उत्तेजित करने वाले हैं. सत्वगुण को नष्ट करने वाले हैं. अनेक जीवों की विराधना वहां पर होने की संभावना है. इसलिए इसका आध्यात्मिक क्षेत्र में निषेध किया गया. आपकी सात्विकता को कायम रखने के लिए. आप विचार कर लेना कि यह जीभ कितनी खतरनाक है. दोनों विभाग इसके पास बड़े खतरनाक हैं. पहले आपका अनुशासन यहीं पर कायम होना चाहिए. पाप का प्रवेश पहले यहीं से होता है. कटुता और वैर का जन्म आपकी जुबान से होता है, क्योंकि वाणी पर विवेक नहीं रहा. उसका मूल कारण आपके आहार पर आपका कोई नियंत्रण नहीं. पहले तो आहार का नियंत्रण. कैसा आहार करना, किस प्रकार करना. जिससे आपका आरोग्य सुरक्षित रहे और मन का आरोग्य भी सुन्दर रहे. विचार भी सुन्दर, स्वस्थ हो. जहां आरोग्य होगा, वहां विचार भी सुन्दर स्वस्थ होंगे. यदि आपका तन स्वस्थ है तो मन भी स्वस्थ रहेगा. मन का आरोग्य भी मिलेगा. पर उसकी चाबी है - शुद्ध सात्विक आहार. परिमित आहार. यहां उस वाणी में कैसे नियन्त्रण लाया जाए, हर व्यक्ति को अपना वकील रखना पड़ता है क्योंकि झूठ बोलना है. उसके बचाव के लिए वकील का आश्रय चाहिए. झूठ ह - 211 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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