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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra F 2c www.kobatirth.org: : गुरुवाणी: जो परमात्मा ने कहा है उसे निस्वार्थ भावना से कहा है. वहां आप संदिग्ध क्यों होते हैं ? धर्म करते हैं तो विश्वास करके कीजिए, फल अवश्य प्राप्त होगा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेठ मफत लाल की भावना जाग्रत हो गई. उन्होंने निर्णय कर लिया कि महाराज रोज कहते हैं तो ये चार महीना मुझे विश्वास के साथ धर्म क्रिया करना है. उन्हें मार्गदर्शन मिल गया. गुरु के धर्म स्थान पर गए. गुरू ने कहा ये दो महीने कम से कम पयुर्षण तक ऐसा करो कि जिसमें तुम्हारे मन को प्रसन्नता मिले, आनन्द मिले, सामायिक करो, प्रतिक्रमण करो, ध्यान करो, परमात्मा का स्मरण करो वह गुरु महाराज के वचन को स्वीकार करके आ गया. , घर में पत्नी थी. एक दो दिन विचार किया. वह उपाश्रय में ही रहा. गुरु के पास जाकर उसने कहा मुझे तो यहां आनन्द आ रहा हैं. यहां सुगन्ध आती है, और यह इत्र की दुकान है. जाने की इच्छा भी नहीं होती. साधुओं के संयम की सुगन्ध ऐसी कि मुझे विषयों की उस दुर्गन्धि में जाने की इच्छा भी नहीं रही. मफतलाल की पत्नी को जब पता चला तो वह क्रोधित होकर मन में बड़ी लज्जित हुई और अपने मैके चली गयी. मफतलाल को जब पता चला खुश होकर बोले कि अच्छा हुआ अब शान्ति से आराधना कर सकूंगा. पड़ोसियों ने कहा- मफतलाल अक्ल है या नहीं. अरे ज़रा सोचो कि तुम्हारा मकान गिर गया. कहां तक इस प्रकार धर्म आराधना में बैठे रहोगे. जरा घर का ध्यान रखो. तुम्हारी मां अकेली है और कोई नहीं है. तुम्हारी पत्नी भी चली गई हैं. मकान गिरने से उसके नीचे तुम्हारा बिन पैसे का चौकीदार कुत्ता भी दबकर के मर गया. उसने कहा • मुझे परमात्मा में विश्वास है और जो कुछ गुरु भगवन्त ने कहा उसमें विश्वास. इसलिए दो महीने तक मैं घर नहीं आऊंगा. जब तक संवत्सरी नहीं आएगी, मैं यहां से जाने वाला नहीं. लोगों ने देखा कि इस आदमी को कहना दीवार को कहने के समान है. यह बड़ा धुनी दिमाग का पागल आदमी हैं. संयोग ठीक होने पर प्रकृति भी अनुकूल आचरण करती है. वह वरदान सिद्ध होती है. रात्रि का समय था. अमावस्या की रात्रि थी, पूर्ण अन्धकार था. चोर बहुत बड़ी चोरी करके आ रहे थे. अपार संपत्ति उनके साथ में थी. इतना सारा माल सामान चोरी करके गधे पर लाद दिया था. पांच दस गधे थे. किसी पर सोना मोहर, किसी पर चांदी के सिक्के, किसी पर बर्तन आदि विभिन्न धन दौलत लूटकर के वे रात्रि के समय जा रहे थे कि जाकर के अपनी संपत्ति का हम बंटवारा कर लेंगे. संयोग ऐसा था कि गांव के अन्दर जैसे ही वे आए तो आप जानते हैं, गधे थोड़े कामचोर होते हैं. मार खाएंगे तब भी चिल्लाएंगे नहीं. आप जो भी काम कराएं बड़ी सज्जनता से करेंगे. 184 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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