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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी अपने अन्तःकरण में प्रतिष्ठित करता है. इसीलिए यहां परोपकार को इतना महत्त्व दिया गया है: "दीनाभ्युद्धरणादरः" ऐसी दीन-हीन आत्माओं की सेवा करना, ऐसी आत्माओं के अन्तर्हदय का आशीर्वाद प्राप्त करना बहुमूल्य माना गया, इसका कोई मूल्यांकन भौतिक दृष्टि में नहीं होता, ऐसी गरीबी में “राकफेलर" बड़ा हुआ. चारों तरफ से मुसीबत घिरी हुई थी. कालेज में घंटी बजाता, गरीबी ऐसी कि रात को पैंट और शर्ट धोकर सुखा देता और सुबह वही पहन कर के जाता, एक ड्रेस था. यह राकफेलर अपनी डायरी में लिखता है कि जैसे ही कालेज में उसने प्रवेश किया. चर्च में जाकर एकदिन प्रार्थना की, प्रार्थना में पुकार थी कि भगवन्, जो तुझे सज़ा देनी है, मैं सहर्ष स्वीकार करता हूं, उसकी मुझे चिन्ता नहीं. परन्तु मेरी एक भावना पूरी हो जाए. मेरी एक ही भावना है, मेरे जैसे कितने, लाखों गरीब दुनिया में होंगे, अगर प्रभु तेरी कृपा से दो पैसा मिले तो मैं सबसे पहले गरीबों की सेवा करूंगा. मैं पैसे का यही सदुपयोग करूं, परोपकार में लगाऊं. वर्ष-दो वर्ष का समय निकला. कुछ पैसा उसने पैदा कर लिया. कोई जमीन बिकने वाली थी और वहां उस जमीन के अन्दर धीमे-धीमे कारोबार शुरु किया. कुदरती वहां से पेट्रोलियम निकला. उसकी रायल्टी उसको मिली. पैसा बढ़ता गया, बढ़ता गया. एक दिन ऐसा आ गया कि एक मिनट के अन्दर एक लाख की आमदनी हई. उसने बहुत बड़ा फाउण्डेशन बनाया. स्वामी विवेकानन्द जब अमेरिका गए तो उनसे मुलाकात हुई. वह स्वयं चल कर गया कि भारतीय ऋषि-मुनियों का जीवन त्याग-प्रधान होता है. उनका मैं दर्शन करूं. उनके विषय और प्रवचन का उसमें बड़ा आकर्षण था. अतः उनसे मिलने गया. भारतीय सन्यासियों का जीवन कैसा है? विवेकानन्दजी कुछ पढ़ रहे थे - कुर्सी पर बैठे थे. सामने राकफेलर आकर के बैठा. दस मिनट तक तो उनका ध्यान ही उस ओर नहीं गया. कौन आया-कौन गया, गम्भीर व्यक्ति थे. दस मिनट के बाद ध्यान गया, उन्होंने देखा और पूछा कि आप कौन हैं? स्वामी जी, मुझे राकफेलर कहते हैं. मैं आपके दर्शन के लिए आया हूं. संसार का सबसे धनाढ्य व्यक्ति और स्वामी जी के दर्शन के लिए आया. भारतीय संस्कृति का कैसा आकर्षण? स्वामी जी के पास कुछ नहीं था. हमारे साधु-संतो में जो त्याग की वृत्ति थी, वह बड़ी अपूर्व थी. लोगों के हृदय में अपना साम्राज्य पैदा कर लेते. लोग दिल्ली में राज्य करते और साधु लोगों के दिल में राज्य करते हैं. वे हिन्दुस्तान में राज्य करते है. और साधु के प्रेम का साम्राज्य सारे विश्व के अन्दर होता है. __स्वामी रामतीर्थ जब अमेरिका जाने लगे. कोई अता-पता नहीं, किसी ने टिकट कटा दी और जाने लग गए. वह पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर में प्रोफेसर थे. गणित के बहुत 149 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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