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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी दुश्मनों के चंगुल में फंस गया, गर्दन काट दी गई. गर्दन काटने के बाद भी उसकी तलवार दस मिनट तक तो चलती रही. यह जोश कहां से आया? अंग्रेज़ इस चमत्कार को देखकर विचार में पड़ गये. गज़ब का आदमी है - जीवन में नहीं देखा. गर्दन काट दी फिर भी दस मिनट तक दोनो हाथों से तलवार चलाता रहा. युद्ध समाप्त होने के बाद उस अंग्रेज ने अपने मस्तिष्क में सोच लिया कि इसके मां-बाप से मैं मिलूंगा. इसमें ऐसी क्या विशेषता थी? घर पर गया. बाप था, मां मर चुकी थी. घर पहुँचकर अंग्रेज ज़रा जानकारी लेना चाहते थे. उनके पिता से जा कर के पूछा – मैं एक जानकारी लेने आपके पास आया हूं. तुम्हारा लड़का कैसा शूरवीर था, युद्ध में गर्दन कटने के उपरान्त भी तलवार चलाता रहा, ऐसा अद्भुत चमत्कार कैसे घटा? ऐसी कौन सी शक्ति थी उसमें? मेरी इच्छा है कि आप मेरे साथ इंग्लैण्ड चलें और हमारे देश में भी ऐसी संतान आप पैदा करें, जो हमारे देश का गौरव बने. बाप ने क्या जवाब दिया - संतान तो मिल सकती है - इसके जैसी मां तुम कहां से लाओगे? उसने उस घटना का वर्णन किया कि उसके मां की कैसी पवित्रता थी. तब शेर की संतान की तरह तुमको इसने वीरता का परिचय दिया. इसकी मां का जीवन देखा, आदर्श देखा. बाल्यकाल था. यह बालक निर्दोष था. सिर्फ तीन वर्ष की अवस्था थी. पालने में झूल रहा था. मैं बाहर से आया. इसकी मां रसोई बना रही थी और पास में ही पालना पड़ा हुआ था, झूला. गांव में रिवाज़ है बालक को झूले में झुलाया करते हैं, उसको सुला देते हैं, माताएं गीत भी गाती रहती हैं ताकि मां का मन भी बहलता रहे. मां का संबंध भी बना रहे. उस समय मैंने आकर के कुछ नहीं किया. इसकी मां का जो घूघट था, वह मैंने उठाकर नीचे किया, चूंघट दूर किया और इसकी मां ने मुझे कहा कि पर-पुरुष के सामने इस तरह ठिठोली करते हए. तुम्हें शर्म नहीं आती, बालक पर क्या संस्कार आयेगा? यह इस बालक में आपकी छाया कैसी पड़ेगी. इसकी सुषुप्त चेतना तो जागृत है जीभ काट कर के वहां प्राण दे दिया इसकी मां ने. अब आप विचार करिए - इतनी सी ठिठोली का परिणाम उसकी मां जीभ काट के रसोड़े में मर गई. तब जाकर के स्त्री की संतान वह बालक पैदा हुआ, क्या यह आपके अन्दर है? अंग्रेज डायरी में लिखता है कि यह हिन्दुस्तान में ही मिल सकता है. भारतीय परम्परा के संस्कार में ही ऐसे शूरवीर जन्म लेते हैं. यह दुनिया में खोजने पर नहीं मिलेगा. यह हमारी सभ्यता पर हमारा अधिकार (मोनोपाली) है. क्या पवित्रता थी? क्या यह देश था? हमारे युवा आश्रमों में से गुरुजनों का आशीर्वाद लेकर निकलते थे और उन गुरुजनों का आशीर्वाद कैसा फलीभूत होता था. राष्ट्र कितना सुरक्षित था. जब वे चलते - युवाओं R - 113 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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