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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्वबिन्दुः विशेसकारछे ते सामान्याकारथी भिन्न नथी. जेम- अनुक्रमे यथा शिवकादि विकल मृत्तिकावत् मृत्तिका विकल शिवकादिवत्। १६८ सामान्य विशेषात्मक वस्तुने ग्रहण करनार प्रमाण पण दर्शन अने ज्ञानरूप छे. छद्मस्थावस्थामां कोई वखत ज्ञानोपयोगनी मुख्यता रहेछे त्यारे दर्शननी गौणता थाय छे. अने कोइ व. खत दर्शनोपयोगनी मुख्यता होयछे. त्यारे ज्ञानोपयोगनी गौणता होय छे. १६९ सम्मतिकारना मत प्रमाणे क्षायिकभावमां केवलज्ञान अने केवलदर्शन युगपत् वर्तेछे, १७० मतिज्ञानोपयोगे वर्ततां श्रुतज्ञानोपयोग नथी. अने श्रुतज्ञानो पयोगेवर्ततां मति, अवधि, अने मनःपर्यव नथी. अने अवधि ज्ञानोपयोगे वर्ततां मति, श्रुत, अने मनापर्यवनो उपयोग नथी. अने मनापर्यवज्ञानोपयोगे वर्ततां मति, श्रुत, अवधिज्ञाननो उपयोग नथी. तेम चक्षु अने अचक्षु दर्शननो उपयोग वर्तता मतिज्ञानोपयोग नथी. अने मतिज्ञानोपयोगे वर्ततां चक्षु, अ. चक्षुदर्शननो उपयोग नथी. अवधिदर्शननो उपयोग वर्तता अवधिज्ञानोपयोग नथी. अवधिज्ञानोपयोग वर्ततां अवधिदनिनो उपयोग नथी. For Private And Personal Use Only
SR No.008673
Book TitleTattva Bindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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