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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्वबिन्दुः wmwwwm अंतरायकर्मनी उदीरणा बारमा गुणठाणा सुधी होय. वेदनीय कर्मनी उदीरणा छठा गुणठाणा सुधी होय, मोहनीयकर्मनी उदीरणा दशमा गुणठाणा सुधी होय, अंतरायकर्मनी उदीरणा बारमा गुणठाणा सुधी होय, आयुष्यकर्मनी उदीरणा छठा गुणठाणा सुधी होय, नामकर्म तथा गोत्रकर्मनी उदीरणा तेरमा गुणठाणा सुधी होय. मोहनीयकर्मनी सत्ता अगीयारमा गुणठाणा सुधी होय. आयुष्यनी सत्ता चउदमा गुणठाणा सुधी होय. नामकर्म तथा गोत्रकर्मनी सत्ता चउदमा गुणठाणा सुधी होय. अंतराय कर्मनी सत्ता बारमा गुणठाणा सुधी होय. ज्ञानावरणीय तथा दर्शनावरणीयकर्मनी सत्ता बारमा गुणठाणा सुधी होय, वेदनीयकर्मनी सत्ता चउदमा गुणाणा मुधी होय. १२६ विभंग ज्ञाननो काल जघन्यथो एक समय अने उत्कृष्ट एकत्रीश सागरोपम अधिक जाणवो. १२७ समकित शुद्ध पामे उपयोग शुद्ध समरे. उपयोग समरे जीव समरे. अने जीव समरे योग समरे अने योग समरे परिणाम समरे अने परिणाम समरे अध्यवसाय समया जाणवा. For Private And Personal Use Only
SR No.008673
Book TitleTattva Bindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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