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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृषभने केशर सिंह, लक्ष्मी पुष्पनी माला, चन्द्र रवि ध्वज कलश मनोहर, सरोवर पूर्ण विमाना सागर रत्नन राशी अग्नि-, निर्धूम चौद निहाळे, चौदे स्वप्ननो अर्थ सुणीने, आनंदजीवन गाळे, ॥ ४॥ सिद्धारथराजाना हुकमे, जोषीओ त्यां आ. व्या, पुर बाहिर सुरम्य सभामां, अर्थविचारे फाव्या, ज्योतिषिओ भेगा थश्ने, बोले साची वाणी; तीर्थकर वा चक्रवर्ती तुज, पुत्र थशे गुणखाणी. ॥५॥ राजा राणी अति हरखायां, ज्योतिषी संतोष्या; दानादिकथी धर्मिलोको, याचकने संतोष्या; भारतमा सह घरघर लोको, जाणी आनन्द पाया, त्रिशलामाता गर्भने पोषे, धरे निरोगी काया. ॥ ६ ॥ चैत्रशुदि तेरशना दिवसे, मध्यरात्री थइ जाता; सर्व दिशाओ उज्वल शान्ति, आनन्दवाळी सुहातां; नवमहिनाने साडासात ज, दिवस पूरा थातां; त्रिशलामाताए प्रभु जनभ्या, त्रिलोके थर शाता. ॥७॥ भारतदेशे घरघर मंगल, घरघर हर्ष वधार, सिद्धारथराजा मन आनन्द, प्रगट्यो विश्व न माय. ॥८॥ शुन लग्ने जनम्या प्रभु, त्रणभुवन उद्योत; नारकी पण आनन्दीया, जेनी अनंत ज्योत. ॥ ९ ॥ wwermeri For Private And Personal Use Only
SR No.008665
Book TitleSnatrapooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages28
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size2 MB
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