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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सावनी पंच भावना. ९७९* छे. ते माटे पर मेलावडो तजी पोताना एकपणाने जाणी ज्ञानादिक गुणोने पुष्ट कर ॥ ११ ॥ जन्म न पाम्यो साथ कोरे, साथ न मकोय । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुःख बचत्रा को नहींरे, क्षणभंगुर सह लोयरे ॥ प्राणी० ॥ १२ ॥ अर्थः- कोइ साथै सलाह करी जन्म पाम्यो नयी तेम मन्यो पण नथी तेम दुःख वचवा पण कोइ समर्थ नयी पण जेने जेवां जन्म मरण दुःख आदिनो उदय होय तेवोज ते भोगवे सर्वे जीवनां शरीर क्षणभंगुर छे माटे अक्षय आत्म अंगमां पोतावणं जाणी एकत्त्वपणे थिर रहो ॥ १२ ॥ परिजन मरतो देखोनेरे, शोक करे जन मूढ | अवसरे वारो आपणोरे, सहु जननी रूढरे || प्राणी० ॥ १३ ॥ अर्थः- परिवारमाथी कोइने मरतो देखी मूढ पुरुष शोक करे छे वली अवसरे सर्वनो तेम आपणो एज वारी छे एम जाणीने परिजन अने शरीर रुपपर द्रव्यमां ममता करता नथी ते अखंड शुद्ध निज आत्म स्वभाव जोणी निर्भय निराकुल रहे छे ॥ १३ ॥ सुरपति चक्री हरी बलीरे, एकला परभव जाय । For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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