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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीरजिनवरनिर्वाण. वीर प्रभु पाटे थयाजी, गौतम ज्ञान निधान, देवचंद्र वंदे सदाजी, समता अमृत खान नाथ० २१ ॥ ॥दोहा॥ श्री गौतम गुरु देशना, सांभली उठ्या सर्व, सुरवर सह नंदीश्वरे पोहत्या भगति अखर्व ॥ १ ॥ बार वरस केवलिपणे, विचर्या गौतम स्वामी, आठ वरस केवलिनिधि, श्री सुधर्म अमिरामी ।। २ ।। वरस चौमालीस केवली, श्री जंबुसुखकार, त्यार पछी श्रुत ज्ञान बल, चाले सासन सार ।। ३ ॥ एकवीस सहस वरस लगे, रहस्ये वीरवचन; तमु आलंबन जे रमे, तेहीज जीव सुधन्न ॥ ४ ॥ ॥ढाल ।। धन्य धन्य सासन श्री जिनवरनो, जिहां वर वाचक वंस रे, दूसम काले जास प्रसादे लहिइं धर्म परसंस रे धन्य० ॥ १ ॥ आर्य प्रभ सीजंभवमूरि, सूरि यशोभद्र स्वामी रे, श्री संभूति विजय सुतसागर, भद्रबाहु वर नाम रे धन्य० ॥२॥ दश नियुक्ति छेद वर आगम, उवर्या वस्तु रवरूप रे, संपूरण द्वादस आगम धर, ज्ञानक्रिया विधि रूप रे २० ॥३॥ थूलभद्र कोश्या प्रतिबोधी, महागीरि मूरिहन्ति रे, वयरस्वामी जे पूरव दशधर युग प्रधान सु प्रशस्त रे धन्य० ॥४॥ भाष्योद्धार कारक उपगारी श्री जिनभद्र मुनिंद रे, चूरणी करता श्रुत उद्धरता श्री देवदि मुणिंद रे धन० ॥५॥ पुस्तकारूढ कयौं जिन आगम, राख्यो सासन शुद्ध रे, टीकाकार श्री सिलांग सूरिवर, श्री अभयदेव प्रबुद्ध रे धन०॥६॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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