SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 476
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीरजिनवरनिर्वाण. श्रीवीरेजी गौतम गणधर मोकल्या, आणाकरजि देवशरमा बोधन चल्या; जिन आणाजि हित सुख मंगलकारए, इंम जाणीजी गणधर करे विहार ए॥ ॥ श्रुटक ॥ नवरायलछिन। मल्लि वीर वचन रसेरस्या, निज देश चिंता तजी जिनपद सेवना करवा वश्या; सुरराय चौसठ्ठ तिहां आव्या सिद्धि अवसर जाणता, श्रीवीर दर्शन मत कीरतन परम सुख मन आणता ॥३॥ ॥दोहा॥ कार्तिक वदी चौदश दिने प्रात समय जिनराय, सिंहासने बेठा जिस्य वरंभा गुण गाय ॥ १॥ ॥ ढाल ॥ जीरीयानि ॥ अथवा सोहलानी ॥ वाल्हेसर त्रिसलादेवीनंद दीठो हे दीठो अमृत धनसमो सोभागीस्वामी सोभागी सिद्धि वधू भरतार, मोहन हे मोहन मूर्ति नीत नमो उपगारी स्वामी ॥ १ ॥ तुम्हे गाओ हे तुम्हे गावो नित गुण धरि मनप्रेम, जेम न हे जेम न जाबो र गति ॥ ३० ॥ चिरजीवो हे चिरजीबो गौतम गुरुराय, नित प्रति हे नित प्रति पूजे सुरतिते ॥ ३० ॥ २॥ अतूलि बल हे अतृलि पल याचो जगनाथ, जिण जित्यो हे जिण जित्यो मोह सुभटजरू ॥ ३० ॥ बूटो हे वूठो आज अमीयमय मेह, सफलो हे सफल फल्यो घरिसुरतरू । उ० ॥३॥ 113 For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy