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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૯૪ अष्टप्रकारी पूजा.. ॥ अथ पंडित श्रीदेवचंद्रजीकृत अष्टप्रकारी पूजा लिख्यते ॥ ॥ प्रथम जलपूजा ॥ ॥ दोहा ॥ || गंगामागध क्षीरनिधि, औषधमंथितसार ॥ कुसुम वासित शुचिजलें || करो जिन स्नात्र उदार ॥ १ ॥ ढाल ॥ 'मणिकनकादिक अडविध करी, भरी कलश सफार || शुभ रुचि जे जिनवर नमे, तसु नही दुरित प्रचार || मेरुशिखर जिम सुरवर जिनवर न्हवण अमान, करता वरता निज गुण, समकित वृद्धि निधान ॥ २ ॥ छंद ॥ हर्षभरी अप्सरावृंद आवे, स्नात्र करी एम आशीष भावे ॥ जिहांलगे सुरगिरि जंबुदीवो, अमतणा नाथ जिवो तुं जिवो ॥ ३ ॥ || विमलकेवलभासनभास्करं, जगति जंतुमहोदयकारणम् || जिनवरं बहुमानजलौघतः, शुचिमनाः स्त्रपयामि विशुद्धये ॥ १ ॥ ॐ ही परम परमात्मने अनंतानंतज्ञानशक्तये जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमज्जिनेंद्राय जलं यजामहे स्वाहा ।। १ ।। इति जलपूजा || ॥ अथ द्वितीय चंदन पूजा प्रारंभः ॥ ॥ दोहा ॥ बावना चंदन कुंकुमा, मृगमद ने घनसार ॥ जिनतनु लेपे तसु टले, मोह संताप विकार ॥ १ ॥ ढाल || ३४ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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