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________________ ( १४ ) षट् द्रव्य विचार. नही, अने व्यवहार नये करी जीवनाटकीयाना पेठे एकेंद्री बेरेंद्री तेरेंद्री चौरेंद्री देवता मनुष्य तीर्यच नारकी समुर्छिम पंचेंद्रिीरूप नवा नवा पुद्गलना वेष पेहेरी नवा नवा रुपी नवां नवां नाम धरावी आत्म भान मूल्यो छतो चार गतिरुप संसार नगरना चोराशीलाख चउटामा अनादिकालथी अनेक दुःख सहन करतो भमतो फरे छे. ए रीते आ जीव कर्मरूप पुद्गलमां परिणम्यो छतो भटक्या करे छे. परंतु निश्चय नये करी जीव सदा शाश्वतो ले, अने सत्ताए सिद्ध समान छे. व्यवहार नये कॅरी जीव अने पुद्गलए बे द्रव्य परिणामी छे तथा पुद्गला स्ति काय द्रव्यना पण निश्चय नये करी पर ·
SR No.008655
Book TitleShaddravya Vichar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1903
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Philosophy
File Size4 MB
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