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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भजनसंग्रह भाग ९ छपाइ बहार पडयो छे. मूरीश्वरजीनी आभ्यंतरभावनाना प्रतिविंबरूपरसथी छला. छलसुंदर पद्य.थी भरपूर आ पुस्तक खरेखर गुजरातना काव्य भंडोळमां अगत्यनो उमेरो करे छे, ते जाणीने खरेखर दरेक गुजरातीने आनंदज थशे. आ संग्रहमां वैराग्य, अध्यात्म ज्ञानचारित्र तथा नीतिना तरंगो छलकाता होवाथी जगत्मां तेनो प्रचार एकदम थवानी जरूर छे. वळी तेओए जैनजगत्ने हालनी मंदावस्थामांथी जागृत करवा साम् अने लोकोने कर्तव्यपरायण करवा. सारु जुदा जुदा पात्रोद्वारा अनेक विषयो चर्ची जैनजगत्ने तदन नवी ढबे कर्तव्यदिशानो मार्ग जणाव्यो छे. जेथी जैन जगत् खरेखर प्रगतिशील बनी जशे. अने जैनजगत् खरेखर वखतसरनी कार्यप्रणालिकारूप मार्गमां विचरशे. हालनी स्वराज्य अने स्वदेशनी अध्यात्मिक भावनाने पण आ ग्रंथमां योग्य स्थान मळ्युं छे, एटलुंज नहि पण बाह्य स्वराज्य अने बाह्यस्वदेशनी साथे आभ्यंतर स्वराज्य अने आभ्यंत. स्वदेश के सर्वविश्वजनोनुं परमादर्शध्येय छे, अनेक गूढतत्त्वाथी भरपूर तथा ज्ञाति अने धर्मना भेदभावरहित दरेकने समान उपयोगी आ पुस्तक छे. एक वार वांच्याथी हाथमाथी मूकवानुं मन थशे नहीं. सुंदर पाकुं वाइन्डींग पृष्ठ ५८० किंमत रु. १-८-० पोस्टेज अलग. For Private And Personal Use Only
SR No.008648
Book TitleSangha Kartvyadi Praja Samaja Kartavya Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Religion
File Size8 MB
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