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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५३९ मंत्रम्. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ ह्री श्री परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरा मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय, सिद्धाचलपूजार्थ जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥ ए मंत्र प्रत्येक पूजा दीठ कहेवो. द्वितीया पूजा. सिद्धाचलगिरि भेटवा, एकेक डगलुं भरंत; भव्यो कोटिजव कर्या, कर्मों क्षणमां हरंत. 11311 असंख्यप्रदेशी यातमा, सिद्धाचल गिरिराज; वन्दतां पूजतां ध्यावतां, पामे भवी शिवराज्य. ॥२॥ ( अवसर बेर बेर नहीं आवे, राग सोरठ. > विमलगिरि दर्शन विरला पावे, पावे ते सिद्ध थावे. विमल० ॥ नवनव नामे गिरिवर अर्थो, आतममांहि समावे; आतमगुणपर्यायनी शुद्धि, करी गिरिवत् स्थिर थावे. विमल० ॥ १ ॥ सहश्रकमल मुक्ति निलय गिरिवर, सिद्धाचल दिल ध्यावे; शतकूट ढंक कदंबने लोहित, कोटिनिवास सुहावे. विमल० ॥ २ ॥ तालध्वज पंचकूट सजविन, ज्ञाने For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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