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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३० द्वितीया दीपकपूजा. (सेवक अरज करे छे राज, अमने शिवसुख आपो. ए राग.) शुं कहुं करणी मारी हो राज. ए राग. घंटाकर्ण महावीर बळिया धीर, शांति जगमा पसारो; त्हारो महिमा अपरंपार हो वीर !!! संघमां शांति प्रचारो. ॥ मागुं न मागणपेठे स्वार्थे, बाधा मान्यता सर्वे; राखे ते नहीं जैनो भक्तो, तुज प्रेमे रहियो अगवे हो वीर ! संघमांग ॥१॥ स्वार्थथी मान्यता बाधा वण हुं, धर्मनुं सगपण धारी; दीपक करीने प्रेम प्रजु, निष्कामभाव वधारी, वीर ! संघ. मां ॥२॥ याचक थइ तुज पासे न याचुं, आतम प्रेमे राचुं; शुद्धप्रेमथी सगपण साचुं, परमार्थे नित्य माचुं हो वीर ! संघमांग ॥ ३ ॥ लाज न जावा देजे वीरा, सहायक वडधीरा; महिमा न जूगे पमवा देजे, समकिती गुणहीरा हो वीर !!! संघमां० ॥ ४॥ धर्मी वीरा साथे रहेशो, धर्म स्हायने देशो; परमार्थे पूजनने वहेशो, कीधुं ध्यानमां लेशो हो वीर ! संघमां० ॥ ५॥ सर्वजगत्मां महिमा छवायो, उग्यो रवि न छुपायो; साधर्मिकप्रीतिए सुहा. यो, कलिमा जागतो गायो हो वीर ! संघमांग ॥६॥ जेम घटे तेम मित्रनी पेठे, धर्ममा साथी रहेशो; For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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