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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जापे टळे सहुपापरे; राग द्वेष न पासे आवे, जाप जपंतां अमापरे. ॐ अर्ह ॥२॥ ज्या त्या अंतर बाहिर धारणा, त्राटक तुज उपयोगरे; जीन न हाले मानस जापे, प्रगटे आनंद जोगरे. ॐ अर्हः ॥३॥ जड चेतन सहु विश्वमा प्रभुनी,-सत्ता धारणायोगरे, आत्ममहावीरसत्ता प्रगटे, थातो कर्मवियोगरे. ॐ अर्ह० ॥ ४॥ प्रभु तुज जापना धूपथी नासे, दुर्बुद्धि दुर्गधरे; क्षण क्षण आतम शुद्धि वृद्धि, आतम थाय अबंधरे. ॐ अर्ह ॥ ५ ॥ प्रभुजापे प्रभु घटमां प्रकाश्या, प्रगटी सुखनी खुमारीरे; बुद्धिसागर महावीर लगनी, प्रगटी न उतरे उतारीरे. ॐ अहँ ॥६॥ ॐ प० महावीर जिनेन्द्राय-धूपं यजामहे स्वाहा ॥ ॥ पंचमीदीपकपूजा ॥ मतिश्रुतज्ञानना दीपके, पूजा महावीर देव, करतां दुर्गुण दोष सहु, नासे ने ततखेव. ॥१॥ मिथ्यातम दूरेटळे, दीपक पूजायोग; केवल ज्ञानने दर्शने, मुक्तिपुरीसंयोग. ॥२॥ तिरोभाव निज ऋद्धिनो, आविर्भाव जे थाय; आत्ममहावीरसि. द्धता, देहछतां सोहाय. ॥३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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