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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४३० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महागुरुश्रीरविसागरजी गुरुपूजा. प्रथम सद्गुरुसंगतिरूप जलपूजा. परमश्वर महावीर जिन, चोवीशमा जिनदेव; परमब्रह्म परमातमा, तीर्थंकर करूं सेव ॥१॥ गएधर गुणवंता गुरु, श्री सुधर्म प्रधान; गणधर पट्टपरं परा, श्वेतांबर गुणवान् ॥२॥ वरुगन्थी तपगहनी, परंपरा वर्ताय; जगगुरु हीरविजयसूरि, थया महागुरुराय. ॥ ३ ॥ विद्यासागर मुनिवरा, सहज सागर मुनिराज पट्टपरंपरा शोभता, संवेगी शिरताज. ॥ ४ ॥ नेमिसागर मुनिवरा, व्रताचार गुणवंत; तास शिष्य गुण गणधरा, रविसागरजी संत ॥ ५ ॥ गुरु पूजा रचुं जावथी, मुनिपरमेष्ठी जेह; गुणी गुण गातां जातां, पवित्र मनवचदेह || ६ || ( मेतारज मुनिवर धन्य धन्य तुम अवतार. ) धन्य धन्य साधुसंगति करनाएं नरनार ॥ मरुदेशे शुभ पालीनगरे, श्रावककुलमांही चंद- श्रेष्ठी राघवजी गुणवंता, पत्नी माणिक गुणवंत; तस कुखे जन्म्या रवचंद पुत्र उदार० धन्य० ॥ १ ॥ अनंत पुण्ये श्रावककुलमां, जन्म भवीनो थाय; अनंत पुण्ये संत समागम, धर्मरुचि प्रगदाय; श्री जैन For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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