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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बृहत्पूजासंग्रहनी प्रस्तावना. भजनसंग्रह प्रथम भाग वि. १९७९, मां छपाइ बहार पड्या पछी प्रथम भागनी साथे-पूजासंग्रहनो वीजो भाग-साणंद, गोधावी पेथापुर, प्रांतिजमां रचायो छे ते बन्नेने भेगा करी बृहत्पूजासंग्रह एवा नामे आ पूजासंग्रह बहार पाडवामां आवे छे. पूजासंग्रहना बीजा भागमां-१ श्रावकना एकवीस गुणनी पूजा, २ भाव श्रावकना स. तर गुणनी पूजा. ३ वारव्रतनी पूजा. ४ वार भावनानी पूजा. ५ श्री महावीरपंचकल्याणक पूजा. ६ पंचज्ञानपूजा. ७ जंगम स्थावरतीर्थपूजा. ८ शुभकार्यारंभमां मंगलपूजा. ९ अष्टादश पापस्थानकनिवारकपूना. १० सिद्धाचलनवाणुप्रकारी पूजा, ए दश पूजाओ रचाइ छे अने छपाइ छे.मासंग्रह प्रथम भागनी प्रस्तावना के जे उपयोगी छे ते अत्र छपाववामां आवी छे अने तेथी हाल शरीरनी अशक्तिथी बृहत्पूनासंग्रहनी विस्तृत उपयोगी प्रस्ता. वना लखवानो भाव होवा छतां ते लखाइ नथी. छद्मस्थदशामां भूलाय ए स्वाभाविक छे, तेथी पूजाओमां जे कंइ भूलो रही गइ होय तेओने गीतार्थो सुधारशे. तथा ग्रन्थमां शब्द वगेरेमा प्रेसना घसायला अक्षरो वगेरेथी अशुद्धियो रही गइ होय तेओने गीतार्थ मुनिराजो सुधारशे अने पोतानी सजनतानो प्रकाश करशे, पयमांथी पण पूरा काढवानी दृष्टिवाळा दुर्जन शत्रुओनी दृष्टिएतो काकनीपेठे सारं पण खराब भासवानु, एटले तेजो नो-बृहत्पूजासंग्रहनी उत्तमता अवलोकी शकवाना नथी. सज्जन संतोनी दृष्टिए तो सारु सत्य ग्रहाय छे. तेओ आ पूजाओमाथी सारुं ग्रहण करी शकशे. कर्तानी हयातीमां रागी अने प्रतिपक्षी एवा बे पक्षो हयात होय छे. परंतु ग्रन्थ कर्ताओ कवियो वगेरेनी पाछळ पञ्चाश शत वर्ष पछी बन्ने पक्षो होता नथी. तेथी पाछळथी घणा गुण ग्रहीओ थाय छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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