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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८१ ( जीरण शेठ भावना भावेरे, महावीर प्रभु घेर आवे. ए राग. ) प्रभु महावीरने दिल धारो, प्रभुने दण दण संभारो; उपयोगे आत्म सुधारो, धरी आर्जव गुण निज तारोरे; एवो वीरप्रभु उपदेशो, माया त्यागी मुनि शिव शोरे. एवो० ॥ १ ॥ निष्कपटे कहेतुं ने रहे, दुनियानुं कह्युं सहु स्हेदुं; मान पूजामां लक्ष्य न दे, जेवुं अंतर बाहिर तेर्बुरे. एवो० ॥ २ ॥ माया त्यागे प्रभु दिल आवे, अन्य दोषो वेगे जावे; शोभे आतम आविर्भावे, शुद्धसरलता आत्म स्वभावेरे. एवो० ॥ ३ ॥ दुनिया भले वंदे निंदे, करे हेलना रागी बंके, वध बंधन मारवा मंडे, व्होयें पडशो नहीं मुनि फंदेरे. एवो० ॥ ४ ॥ मर्या पहेला माया मारो, निर्मायी वनी निज तारो मल्यो मानव भव नहि हारो, मन कपटवृत्ति संहारे. एवो० ॥ ५ ॥ मायासंगे क्षण क्षण मरखं, कदि दंभथी होय न तरखुं; मायामारी जीवन धरयुं, पबी मं नहीं अवतरखंरे. एवो० ॥ ६ ॥ त्यागो सर्वप्रकारे माया, बूरा तेना छे पडछाया; मायात्यागथी प्रभु घटछाया, समजी संतो सुख पायारे. एवो० ॥ ७ ॥ वसे कपट त्यां दुःखना दरिया, माया त्यागी मुनि ३६ For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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