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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७९ द्वितीया मार्दवधर्मपूजा. द्रव्यभाव अहंकारना, त्यागथकी छे त्याग; मुनि श्रमणी लघुता धगे, थावो प्रभु वडभाग. ॥ १ ॥ आठजातिना मद तजी, थावो निरहंकार; अगुरु लघु निज आतमा, समजीने सुखकार. ॥२॥ मानमां अने अपमानमां, वर्ततां समनाव; अनंत गुण प्रगटे खरा, साधो मार्दवदाव. ॥३॥ (श्रावक व्रत सुरतरु फलियो, ए राग.) परमेश्वर वीर उपदेशे, रहो न मुनि रागद्वेषे; मान तजे ते सुख लेशरे, मुनिवर मान परिहरशो. क्षण क्षण बातमगुण स्मरशोरे, मुनि॥ भवसागर वेगे तरशोरे. मुनिवर० ॥१॥ आठजातिमद परि हरता, आतमशुद्धि ते करता; परमब्रह्म वेगे वरतारे. मुनिवर० ॥ २॥ रावण मानथकी हार्यों, भीमे दुर्योधन मार्यो; मन पेसे मद अणधार्योरे. मुनिवर० ॥ ३ ॥ ज्ञानने ध्यानना अहंकारे, तरे नहीं पर नहि तारे; गारवे जीव करे भारेरे. मुनिवर ॥४॥ उंच नीच जेदे आवे, अज्ञानी मनमां फावे; मदकेफे निज भूलावेरे. मुनिवर० ॥५॥ हुं मारे For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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