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विजयजी पंडित, श्री वीरविजयजी पंडित, आचार्यश्री विजयानंद सूरि, पच्यासश्री गंभीर विजयजी, श्रीमान्हसविनयनी, श्रीमान वल्लभविजयजी श्रीराजेन्द्रसूरि वगेरे आज सुधी पूजाओ रचनारा थया छे. खरतरगच्छ, अंचलगच्छ वगेरेमां गुजराती भाषामां पूजाओना रचनार अनेकसूरि पंडित मुनिवरो थया छे अने भविष्यमां घणा थशे. पूजाओ भणाववानो श्वेतांबर जैनोमां घणो रीवाज छे. सर्वपूजाओमां नवपदनी अने वीशस्थाकपदनी नवाणुपकारी, पूजाओ वधारे भणावाय छे. उपाध्यायजी श्री यशोविजयजी, श्रीमद देवचंद्रजी अने ज्ञानविमलजी सूरि, एत्रणनी नवपदनी स्तुतिनो संग्रह करीने कोइ मान्य मुनिए नवपदपूजानी योजना करी छे. खरतरगच्छ अने तपागच्छ, बन्नेमां ए नवपदनी पूजा भणावाय छे. श्री विजयलक्ष्मीसूरिकृतवीशस्थानकनी पूजानी जैनोमां घणी प्रसिद्धि छे. विद्वानो ते पूजाने भणावी विशेषहर्ष पामे छे. पूर्व पुरुष मुनिवरोर्नु अनुकरण करीने मारावडे प्रसंगोपात्त केटलीक पूजाओ रचाइ छे. ते आ पूजासंग्रहनुं पुस्तक वाचतांज वाचको जाणी शकशे.
मारी बनावेली पूजाओ-वसो, विजापुर, साणंद, महुडी (मधुपुरी ) मेसाणा, ए पांच गाममां रचायेली छे. दरेकमां पूजा रच्यानो संवत् छे. विशेषमा गुरुपूजा अने प्रभुमहावीरदेवना यक्ष तरीके श्री घंटाकर्णमहावीरनी पूजाओ छे त्रीजा, चोथा अने पांचमा परमेष्ठीमां गुरुतत्त्वनो समावेश थाय छे. श्रीमद् रविसागरजी गुरु महाराज अने श्रीमद् सुखसागरजी गुरु महाराज, ए वे परम उपकारी गुरुओना गुणनी पूजा रचवामां आवी छे. गुरुनी पादुका तथा मूर्ति आगळ अगर अन्यत्र गुरुनी स्थापना करी गुरुपूजा भणाववी. नवपदनी पूजामां अरिहंत, सिद्धनी पेठे आचार्य, वाचक, तथा साधुनी पूजा छे. गुरुमां आचार्य, वाचक, मुनिनो समावेश
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