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(६६) श्रुतपद नमिये भावे नविया. ए-राग.
स्थविर मुनि जगमा उपकारी, मुनिजन स्थिरता कारीजी; स्थविर साधुनी संगति करतां, चंचलता टळनारी; स्थविरने जजीएजी, पशुने करता देव, स्थविरने यजीएजी ॥१॥ वीश वर्ष दीक्षा पर्यायी, साठ वर्ष वय धारीजी; आचार आदि अंगना ज्ञाता, श्रुतस्थविरा सुखकारी. स्थविर ॥२॥ बालक ग्लान संशयी चंचलने,धर्मविषे स्थिरकारीजी; परिणामिक बुद्धि अनुभवी जे, बाल मुनि हितकारी. स्थविर० ॥ ३ ॥ प्रभु महावीरे मेघ कुमरने, संयममां स्थिर कीधाजी; गणांगे दश स्थविरा भाख्या, बातम रमणी प्रसिद्धा. स्थविर० ॥४॥ ज्ञानी ध्यानी मुनिवरा जे, खपर समयना दरियाजी; बुद्धिसागर स्थविर मुनि शुभ, तारे ने जे तरिया. स्थविर ॥ ५॥
सप्तम साधु पद पूजा. आत्म स्वनावे जे रमे, परोपकारी महान् ; सत्तावीश गुण धारका, प्रणमो मुनि गुणखाण. ॥१॥
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