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(१५)
करी केशर (चंदन) थी पूजा करी फूल चढाववां अने सिंहासन मध्येनी रकेबी मांथी पाणी काढी नांखी धोइ साफ करी फरी केशरना स्वस्तिक करी पधराववा. आरती मंगळदीवो प्रगटी बनेने नागाबकी बांधी एक रकेबी मां मूकी कंकुना छांटा नाखी चोखाथी वधाववा, रकेबीमां सोपारी तथा एक पैसो मूकी केबी बच्चे राखी स्नात्रियाने सन्मुख बेसामवो. केबीनी एक बाजु सात माटीनी कांकरी तथा सात मीठानी कांकरी लइ एक मीठानी कांकरी ने एक माटीन कांकरी ए रीते दरेक ढगलीमां मूकी सात ढगलीओ करवी. पछी बीजी तरफ जळनी कुंमी राखवी. स्नात्रियाने उभा पगे बेसामी मात्रा हाथ उपर जमणो हाथ रखावी विधि जपावनार माणस स्नात्रियाना हाथमां दरेक वखते एक मीठानी अने एक माटीनी कांकरी आपी ते साथे हथेलीमां चोखा पाणीना कलशमांथी थोकुं पाणी पे अने आरती मंगळ दीवानी रकेबी फरतुं लूप उतरावे. तेनी विगत.
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