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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ पीछोला तळाव अने उदयसागरमा माछलाना जाळो नाख. वानो निशेध कर्यो हतो. ३ राज्याभिषेकना दीवसे (गुरुवारे कोइ जीव मारे नही ३ जन्ममास अने भाद्रमासमां कोइ जीव हिंसा करे नही . ४ मसींच दुर्गमां कुंभाराणाए करावेल जिनचैत्यनो उद्धार कराववो, आ चार वातो कबुल करी हती. आ शिवाय हालार देशमां नवा नगरना लाखाराजाने पण प्रतिबोध को हतो तेम दक्षिणमा इदलशा नामना बादशाहने प्रतिबोध करी गौवध बंध कराव्यो हतो वळी इडरना कल्याणमलराजा अने दीवना फीरंगीओ पण तेमना उपदेशने बहु मान आपता हता. ज्यहारे तेओ दक्षिणमां विचारता हता ए ते वखते ते पण हा. ८० साघुओने पंडित पद उपर स्थापन कर्या हता. अने ते शीवाय १७०५ मां इडरमा ६४ पंडितोने बनाव्या हता. ___ आचार्य विजयदेवसरिना शिष्यो पण वाद करवामां बहादुर ता हेमणे सादडीमां लुंकानुयायिओनो पराजय कर्यो हतो तेमज उदयपुरना राणानी समक्ष पण लोंकाओने हरावी राणानो पटो सही अने भालाना चीन्हवाळो तपाओनी सत्यतानो कराव्यो हतो. आ पटो सादडीमां वांचीने सूरिजीनी प्रसन्नता मेळवी हती. ___आ सरिजीना हाथे राजनगरमां-पाटणमां-खंभात-वडनगरइडर-साबली आरासण जालोर मेडता खमणोर. रामपुर, देवकुल पाटक (देलवाडा) नाही. आघाट. आबू. नवानगर, उज्जन अने दक्षिणना केटलांक जुदां जुदां स्थानोमां प्रतिष्ठाओ पण घणी थइ इती. For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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