SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परमात्मj १२८ ..[परिशिष्ट १५३८ परमात्मदर्शन. ज्ञान अने क्रिया बने जोडबंध सबंध वडे परमात्म दशेननुं स्वरूप. बुद्धिसागर सुरि. सं. १९६६ रु. ०-१२-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) १५३९ परमात्म प्रकाश योगीन्द्र देव. रु. ३-०-२ शा. मुंबइ. १५४० परमानंद पच्चीसी. भेट. (४१६) १५४१ परमार्थसारकाव्य सविवरणं. सं. (५०) १५४२ परलोक प्रकाश. रु. ०-६-० (६) १५४३ परलोक प्रकाश. गुजराती. मूळ लेखिका. स्व. व्हेन. न वलबाइ. पोपटलाल केवलचंद, विस्तारथी लखनार. पोपटलाल केवलचंद. (५०) १५४४ परागशब्दाष्टोत्तर शतार्थ निबद्धं साधारण जिन स्तवन वि विधवृत्त बद्धम् (जुओ प्रकरण रन्नाकर भा. ४) १५४५ परिणाम माला. ( उपमिति भव प्रपंचा कथात् उद्धृता) (प्रभावना माटे) (४१९) १५४६ परिमाण मंजरी. अथवा काष्ट माप संग्रह. रु. १-४-० १५४७ परिशिष्ट पर्व. रु. २-०-. , ,, भा. १ लो. हिन्दी. तिलक विजयजी सं. १९७३ (४२) " " भा. २ जो. , , (४२) १५४८ परिशिष्ट पर्व इंग्लीश अथवा स्थविरावली. त्रि. श. पु. च रित्रनी एपन्डेक्षीस साथे हेमचंद्राचार्य. प्र. हर्मन जेको बी. सं. १८९१ (४२१) १५४९ परिशिष्ट पर्व ( अर्थात् इतिहासिक पुस्तक भा. १ लो. रु. १-०-० तेर सर्गर्नु भाषान्तर छे. (६) १५५० परिशिष्ट पर्व भाषान्तर भा. २ जो. रु. १-०-० (६) For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy