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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देववं] [देविन्दु १२२५ देववंदन चोवीशी भेट. देवचंद्रगणि. (सुखसागर) (३४५) १२२६ देववंदन निर्णय पताका, धनविजयजी कृत (मरुधर साय. लाना संघे प्रसिद्ध कर्यो. अपरनाम जाळस्तवे द्रव्यस्तव फर्तक जैन शास्त्रविरुद्ध पीतांबर नवीनपंथी श्री सुरत सं. " अगत्य ठराव खंडन" सं. १९६० (७१) १२२७ देववंदनमाला. रु. ०-१२-० (६७) १२२८ देववंदनमाला. (गुजराती) रु.१-४-० शास्त्री. रु.१-०-० १२२९ देववंदनमाला भेट. ले. राजेन्द्रमूरि ज्ञानपंचम्यादि सं. १९७६ अलभ्य. (३७) १२३० देववंदनविधि गुजराती दीवाचो फाटी गयो छे. (५०) १९३१ देववंदन स्तुति स्तवन संग्रह. पृ. ४७० बुद्धिसागरसरि रु. ०-६-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) १२३२ देववंदनादि भाष्यत्रयम् देवेन्द्रसरि विरचित, सोमसुंदरसूरि विरचित अवचूरि सहित सं. १९६९ रु. ०-८-० १२३३ देववंदनादि विधि संग्रह भेट. (६७) [(१७, ५०) १२३४ देवविनोद पदो तथा ध्यानादि. पं. देवविजय पृ. १५० रु. १-०-० (२५) १२३५ देवभक्तिमाळा प्रकरण (विजयकमळ सूरिनुं जीवनचरित्र) (आत्मारामजीवाला नहि ) की. नथी (३४६) १२३६ देवसीराइ प्रतिक्रमण रु. ०-३-० गु० (१६) देवसीराइ प्रतिक्रमण सूत्र. प्रा. हिन्दी. देवसीराइ प्रतिक्रमण सत्रार्थ रु. ०-४-० १२३७ देवानंदाभ्युदय महाकाव्यम् महोपाध्याय, मेघविजयगणि विरचित. माघकाव्यनी पादपूर्ति छ. सं. १९६९ (१४) १२३८ देविन्दु स्तवपयन्ना. (जुओ दशपयन्ना) १२३२ देवववचित अवनि भेट. (६७ For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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