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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 बहार पाडेला बीजा केटला अने कया कया ग्रंथो छे ते जोवाने अपने मल्या नथी तेम तेनी याद के कीष्ट पण मल्यां नथी. मुख्य छापेai फॉर्म मोकल्या पछी उघराणी पत्रो लखेला पण नकामा थया छे. ग्रंथ प्रकाश करनारी संस्थाओना वहीवटदारोए पोताना खांनगी सरनामां पण जुदां जणावेलां होवाथी तेनी नोंध साथे साथे लेवामां आवी छे. एकनुं एक नाम अने कीमतना रासो पण जुदा जुदा पंडितोना बनावेला के अने विगतो जुदी जुदी छे. स्वेताम्बरोना घणा ग्रंथोना उपरथी दोहन अने टीकारूप दिगंबर पंडितोए टीकाओ लखी छे तेमां थयेली गेर समजावटो जोबाजोग है. जोवा नही पळेलां पुस्तकोनां नाम कीमत के वर्णनमां तफात जणाया प्रयाणे जुदी नोंध लीधी छे. तेथी दुबार दोष दृष्टिए आवशेज पण बखते एकना एकज पुस्तकने सुधारा वधारा साथे बीजाए छपाव्यं होय तेने छोडी देवाय तो ते एक खरेखर त्रुटी गणाय तेथी तेवा दुबार दोषने अमे लक्षमां कीधो नथी. विशेष हकीकत. असल फरमान शेठ आणंदजी कल्याणजी ठे. शवेरीवाढ अमदावादनी पेढीमां छे. बीजा छ मळी सात खास जोवालायक अने एक सारो ग्रंथ भंडार छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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