SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपास] [ऋषम भगवान विजयकृतभाषा. (२४,५०) उपासकदशांगसूत्र अभयदेवसरिकृत विवरणत्तियुक्त रू. ०-१०-०:(१६) उपासकदशांगसूत्र मूळ मात्र अभयदेवमूरिकृतविवरण (बे न्गाल एशियाटिक सोसाइटी) (१४४, ५०) उपासकदशांगसूत्र भाषान्तर. (५०) उपासकदशांगसूत्र अंक १ थी ६ रु. ३-०-० उपासकदेशांगसूत्र भाग १ लो रु. ३-०-० उपासकदशांगसूत्र प्रथमो भाग. मूल तथा विवरण (जैन मतागमसंग्रहसप्तमांग ) श्रीमद्भयदेवाचार्यसूरिकृत विवरण सहित. डो. ए. एफ. रुडोल्फ हानल परिशोधित इस्वी. १८९० कलकत्ता. शब्दार्थ विगेरे अंग्रेजी अने प्रा. (६३) उपासकदशांग सूत्र टीका. अभयदेवमूरिकृत टीका. सं. १९३३ (२४ २८-१६) २९९ उमेदअनुभव भेट. (६९९) ३०० उववाइसूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त (कि. नथी) उववाइसूत्र (प्रत) रु. ०-१२-० उववाइसूत्र धनपतिसिंह (२४, १२) ३००-अ. उपासक दशांग. प्राकृत अने अभयदेवमूरिनी संस्कृतटीका सहित १ थी ६ विभागमा पूर्ण. इंग्रेजीमां भाषान्तर करीने छपावनार ए. एफ. रुडोल्फ होनेळ Rudolf Hornle. पूर्ण रु. १०-०-० (२९) ऋ. रूपकुंवर रास. नयसुंदरकृत जुओ-आनंदकाव्य महोदषि (मौ. ६ हुँ) ३०१ ऋषभपंचाशिकाधनपालप्रणीत (जुओ-काव्यमाला गु. ७ मो. बीजी) For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy