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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxvi मेघदूत समस्या लेखकालीदासविकृत मेघदूतनी पादपूर्तिवाळो ग्रंथ-" मेघदूतान्त्यपाद समस्या गर्भतयाऽन्वर्थे नामधेयमादधानो-नग नगरादि वर्णनसुरसं" औरंगाबादथी द्वीपबंडदरे विजयप्रभसूरिने विज्ञाप्ति पत्रिकारुपे लखायेलो आ ग्रंथ छे. कर्ता, पन्यास. मेघविजय, काशीना प्रदेशमा आधारभूतगणातो जैन ज्योतिष्यग्रंथ "वर्ष प्रबोध" कर्ता. पंन्यास. मेघ विजय-तेमां संवतसर फल ग्रह गति, नक्षत्र गति. राशि गमन, संक्रान्ति वातचक्रविचार, भूकम्पोत्पातादयो विगेरे सर्व विषयनो समास छे अने हालमा ज्योतिर्विद-पु. रुषो तेने प्रमाणरुप गणे छे. पंन्यास मेघविजयनी बीजी अजब कृतियोः(१) दिगविजय महा काव्यम्-विजप्रभासूरि वृत्तान्त वर्णनपरम्. (२) चंद्रप्रभा-(व्याकरण ग्रंथ) ८००० श्लोक आगरा नगरे सं. १७५७ (३) मातृका प्रसाद-धर्म नगरे सं. १७४७" ॐ नमः सिद्धम्" नुं विस्तीर्ण कही ॐकारनुं स्फुट वर्णन प्रतिपादन कर्यु छे. (४) युक्ति प्रबोध नाटक-केटलीक खंडन युक्तिओ. (५) विजयदेव महात्म विवरणम् (पन्यास वल्लभविजय गणिना ___ रचेलामांना केटलाक भागोनुं स्फुट वर्णन करेल छे ते शीवाय-तत्व गीता-त्रिशष्ठिशलाका पुरुष चरित्र उदय दीषिफा (१७२७ सादडीनगरे) आ शिवाय बीजी पण कृतिओ छे, अने ते दरेक विविध चमत्कार चुक्त छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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