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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करे, प्रभु वीतरागना गुणोनुं बहु मान करे अने आनंदथी गायतो पूजा भक्तिनुं वातावरण एq छवाइ जायके जेयी तहेतु अनुष्ठान अने अमृत अनुष्ठाननों आनंद रस प्रगटे. जिन मंदिरमा पूना भणावती वखते सर्व श्रावकोए नियमसर बेसवु. पूना भणाववामां विधिनो खप करवो अने आशातनाना दोषो टाळवा. वेठनी पेठे पूजा न भणाववी. मोक्ष माटे पूना भणाववी. सुन भक्त स्नात्रीयाओ करवा. पतासांनी लालचेज पूनामा सामेल थर्बु ते विषानुष्ठान छे, माटे पूजा भणाववामां, गावामां अने पूजा श्रवण करवामां खास लक्ष्य राखq. गातां आवडे, सारं गानारा गवैयाओ गाय, बाहिरनी सारी धामधूम देखाय; तेटला माटेज पूजामा जq ए, न धारयु. परंतु सारी रीते गावं. पूजाओ गातां तेना अर्थनो विचार करवो, आत्मामां प्रभु भक्तिनो हर्षोल्लास प्रगटाववो अने प्रभुवीतरागना गुणोने प्रगटाववा खास लक्ष्य राखी सर्व पूजानी साधन सामग्री सेववी अने साध्य लक्ष्यनो केन्द्रसमान उपयोग भूली न जवो. श्रीमद देवचंदजी महाराजे का छे के. स्वामी गुण ओलखी स्वामीने जे भजे, दर्शन शुद्धता तेह पामे; ज्ञान चारित्र तप वीर्य उल्लासथी, कर्म जीपी वाशे मुक्ति धामे, तार० ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008606
Book TitleKarmayoga Karnikao Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1961
Total Pages226
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Karma
File Size10 MB
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