SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप गया नोंधारो मुकी मुजने, दुःखना डुंगर उग्या दीन दयाल जो, भरत भवी तुम प्रेम तळे पागल बन्या, छेह दीधो तेओने पण कृपाळ जो..... .. मन. ।।३।। याद करी तुम दिव्य जीवन ए सौ रडे, शोक त्यजे ना उर थकी दिन रात जो, मित्थ्यामतिनो पार नहीं आ विश्वमां, हाम नथी हिये शुं करीए तात जो... ............ ..मन. ।।४।। वातो शीतळ वायु पण थंभी गयो, नदी सागरना नीर पड्या कंइ स्थिर जो, सरवरमां हंसो चारो चरवो त्यजी, मींची आंखो ऊभा शोके स्थिर जो....... ..मन. ।।५।। करमाया तरुवर सौ आप रवि विना, खरी पड्या कंइ भूपर पर्ण कुसुम जो, त्यजी गुंजन पंखी सौ माळे जई चढ्या, शोक तणी पशुओ पाडे मैं बूम जो... ..मन. ।।६।। भूल्यो साहिब ओलंभो तमने न हो, पाम्यो हुं हुं कर्म तणा फल मुज जो, आप करो तेमां शंका शी माहरे, मान कीधुं हित घणुं छे मुज जो...... ..मन. ।।७।। मनमां मोटी तुमने ए शंका हती, निर्वाणे जो गोयम होशे पास जो, खेद प्रसारी आत्म गुण हानी करे, समज्यो साहिब भलुं कर्यु छे काज जो.............. मन. ।।८।। ५५ For Private And Personal Use Only
SR No.008568
Book TitleGautam Nam Japo Nishdish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy