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साचो ए एक वीतराग, नेह न जेणे लालीओ ए, इण समे ए गोयम चित्त, राग वैरागे वालिओ ए........... ..... ।।४९।।
आवतुं ए जे उलट, रहेतुं रागे साहिउं ए, केवल ए नाण उप्पन्न, गोयम सहेजे उमाहिओ ए; तिहुअण ए जय जयकार, केवल महिमा सुर करे ए, गणधर ए करेइ वखाण, भवियण भव जिम निस्तरे ए... ।।५० ।।
__ वस्तु छंद पढम गणहर पढम गणहर वरिस पचास, गिहिवासे संवसिय, तीस वरिस संजम विभूसिअ; सिरि केवलनाण पुण बार वरिस तिहुयण नमंसिय, रायगिहि नयरि ठव्यो, बाणवई वरिसाउ; सामी गोयम गुणनिलो, होशे शिवपुर ठाउं....................... ।।५१ ।।
भाषा (ढाल छट्ठी) जिम सहकारे कोयल टहुके, जिम कुसुमहवन परिमल महके, जिम चंदन सुगंधनिधि.
........... ।।५२ ।। जिम गंगाजळ लहरे लहके, जिम कणयाचल तेजे झळके,
तिम गोयम सौभाग्य निधि............... जिम मानसरोवर निवसे हंसा, जिम सुरतरूवर कणयवतंसा, जिम महुयर राजीववने...
... ।।५४ ।। जिम रयणायर रयणे विलसे, जिम अंबर तारागण विकसे, तिम गोयम गुण केलिवने...
.......... ||५५ ।। पूनम निसि जिम शशहर सोहे, सुरतरुमहिमा जिम जगमोहे, पूरव दिसि जिम सहसकरो.
........ ||५६।।
..... ।।५३ ।।
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